
नई दिल्ली। भारत की सामरिक समुद्री ताकत को और मजबूती देते हुए अरिहंत श्रेणी की चौथी बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी S4 ने अपने समुद्री परीक्षणों की शुरुआत कर दी है। लगभग 7,000 टन वजनी यह अत्याधुनिक पनडुब्बी पिछले सप्ताह विशाखापत्तनम स्थित शिपबिल्डिंग सेंटर (SBC) से समुद्र में उतरी और अब विभिन्न तकनीकी व परिचालन परीक्षणों से गुजर रही है।
S4 (चार-स्टार) पनडुब्बी अरिहंत श्रेणी की अंतिम इकाई है और इसे 3,500 किलोमीटर से अधिक मारक क्षमता वाली आठ परमाणु-युक्त K-4 पनडुब्बी-प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइलों (SLBM) से लैस किया गया है। इसके शामिल होने से भारत की समुद्री परमाणु निवारक क्षमता को निर्णायक बढ़त मिलेगी।
80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी तकनीक
S4 की एक बड़ी विशेषता यह है कि इसके 80 प्रतिशत से अधिक उपकरण और प्रणालियां स्वदेशी हैं, जो अब तक की सभी अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियों में सबसे अधिक है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में इसे एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, पनडुब्बी के समुद्री परीक्षण लगभग एक वर्ष तक चलेंगे, जिसके बाद इसे 2027 की शुरुआत तक भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने की संभावना है।
समुद्र में भारत के चार SSBN
S4 के परीक्षण शुरू होने के साथ ही भारत के पास अब चार बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां (SSBN) हो गई हैं। इनमें से दो पहले ही सेवा में हैं, जबकि दो पनडुब्बियां परीक्षण चरण में हैं।
तीसरी SSBN आईएनएस अरिधमन अपने समुद्री परीक्षण पूरे कर चुकी है और इसके 2026 के अंत तक कमीशन होने की उम्मीद है। यह उपलब्धि उस एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल (ATV) परियोजना का परिणाम है, जिसकी नींव 1984 में रखी गई थी।
1998 से शुरू हुआ अरिहंत का सफर
भारत की पहली परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत का निर्माण 1998 में शुरू हुआ था—वही समय जब भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण कर दुनिया को चौंकाया था। अरिहंत को 2009 में जलावतरण किया गया और 2016 में इसे नौसेना में शामिल किया गया। वर्ष 2018 में इसने सफलतापूर्वक अपना पहला निवारक गश्ती अभियान पूरा किया।
इसके बाद दूसरी इकाई आईएनएस अरिघात को 29 अगस्त 2024 को सेवा में शामिल किया गया। तीसरी इकाई आईएनएस अरिधमन 2026 की शुरुआत में नौसेना का हिस्सा बनेगी।
आकार में बड़ी और ज्यादा मारक क्षमता
अरिहंत और अरिघात पनडुब्बियां लगभग 110 मीटर लंबी और 6,000 टन से अधिक वजनी हैं। ये या तो 16 K-15 मिसाइलें या 4 K-4 मिसाइलें ले जा सकती हैं। वहीं, अरिधमन और S4 को डिजाइन में लगभग 10 मीटर लंबा अतिरिक्त सेक्शन दिया गया है, जिससे इनमें चार अतिरिक्त K-4 मिसाइलें तैनात की जा सकती हैं।
नाम को लेकर उत्सुकता
S4 का आधिकारिक नाम अभी घोषित नहीं किया गया है, लेकिन नौसेना की परंपरा के अनुसार इसके नाम में भी “अरी” शब्द जुड़ने की संभावना है, जिसका संस्कृत में अर्थ शत्रु होता है।