
पुण्यसलिला नर्मदा के पावन बरमान घाट पर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) द्वारा की गई कथित बदसलूकी और मारपीट का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। स्वच्छता निरीक्षण के दौरान एक युवक को थप्पड़ मारने और घाट के वरिष्ठ पुजारी के साथ अभद्र व्यवहार का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रशासनिक कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिला पंचायत सीईओ गजेंद्र सिंह नागेश गंदगी और अव्यवस्था की शिकायतों के बीच बरमान घाट का निरीक्षण करने पहुंचे थे। इसी दौरान स्वच्छता उल्लंघन को लेकर एक युवक से उनकी कहासुनी हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों का आरोप है कि नियमानुसार चालानी कार्रवाई करने के बजाय अधिकारी ने युवक को मौके पर ही थप्पड़ जड़ दिया और उसकी दुकान हटाने का निर्देश देते हुए घाट क्षेत्र में दोबारा नजर न आने की चेतावनी दी।
पुजारी से कथित अभद्रता पर भड़का समाज
घटना को लेकर घाट के वरिष्ठ पुजारी कैलाश चंद्र मिश्रा ने भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि जब उन्होंने घाट पर शौचालय और अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी की ओर अधिकारी का ध्यान दिलाया, तो सीईओ ने कथित रूप से उनके साथ गाली-गलौज की और सार्वजनिक रूप से अपमानित किया। पुजारी का आरोप है कि उन्हें दंड बैठक के लिए मजबूर किया गया, जिससे उनकी धार्मिक गरिमा को ठेस पहुंची।
पुजारी के साथ कथित अभद्रता की खबर फैलते ही समाज के विभिन्न वर्गों में आक्रोश व्याप्त हो गया। लोगों का कहना है कि धार्मिक स्थलों की स्वच्छता बनाए रखना जरूरी है, लेकिन इसके नाम पर आम नागरिकों और पुजारियों के साथ अमर्यादित व्यवहार किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है।
ब्राह्मण सभा और संगठनों का विरोध
घटना के विरोध में ब्राह्मण सभा सहित अन्य सामाजिक संगठनों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में युवक के साथ मारपीट, पुजारी के अपमान और अधिकारी के कथित असंयमित व्यवहार की निष्पक्ष जांच कर कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है। संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि न्यायसंगत कदम नहीं उठाए गए, तो आंदोलन किया जाएगा।
सीईओ की सफाई
विवाद बढ़ने पर सीईओ गजेंद्र सिंह नागेश ने अपनी सफाई में कहा कि वे स्वयं नर्मदा भक्त हैं और नर्मदा तट की स्वच्छता उनके लिए आस्था का विषय है। उन्होंने कहा कि घाटों की साफ-सफाई एक जनआंदोलन है और गंदगी फैलाने वालों के प्रति सख्ती आवश्यक है। सीईओ के अनुसार, यह कोई औपचारिक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि जनआस्था से जुड़ा अभियान है।
निष्पक्ष जांच की मांग
हालांकि वायरल वीडियो और प्रत्यक्षदर्शियों के आरोपों के बाद प्रशासनिक गलियारों में भी हलचल है। आमजन और सामाजिक संगठनों की मांग है कि पूरे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच कर यह स्पष्ट किया जाए कि मौके पर अपनाया गया तरीका कानून, नियम और प्रशासनिक मर्यादाओं के अनुरूप था या नहीं।