Tuesday, December 30

‘चीनी’ और ‘मोमो’ कहकर किया गया अपमान, यह हत्या राष्ट्रीय शर्म की बात एंजेल चकमा की मौत पर शशि थरूर ने कहा— नस्लवाद पर अब चुप्पी नहीं

 

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नई दिल्ली। त्रिपुरा के छात्र एंजेल चकमा की उत्तराखंड में हुई निर्मम हत्या को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर ने कड़ा बयान दिया है। उन्होंने इस घटना को सिर्फ एक आपराधिक वारदात नहीं, बल्कि देश की अंतरात्मा पर लगा गहरा दाग बताया है। थरूर ने कहा कि एंजेल चकमा एक गर्वित भारतीय था, लेकिन उसे नस्लीय घृणा का शिकार होना पड़ा। उसे ‘चीनी’ और ‘मोमो’ जैसे अपमानजनक शब्दों से पुकारा गया और अंततः उसकी जान ले ली गई।

 

शशि थरूर ने कहा कि यह घटना हमारे समाज में गहराते पूर्वाग्रह, अज्ञानता और विविधता को न स्वीकार पाने की मानसिकता को उजागर करती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह हिंसा की कोई अकेली घटना नहीं है, बल्कि लंबे समय से चले आ रहे नस्लीय भेदभाव का खतरनाक परिणाम है।

 

नॉर्थ-ईस्ट भारत का अभिन्न हिस्सा है

 

थरूर ने उत्तर भारत में बढ़ते नस्लवाद पर चिंता जताते हुए कहा कि यह अक्सर मजाक या अनदेखी के रूप में छिपा रहता है, लेकिन इसके परिणाम बेहद घातक होते हैं। उन्होंने कहा कि नॉर्थ-ईस्ट भारत की आत्मा का अभिन्न हिस्सा है, न कि कोई दूर का क्षेत्र। वहां की संस्कृतियां, भाषाएं और परंपराएं भारतीय पहचान को समृद्ध करती हैं, फिर भी वहां के लोगों को रोज़ाना भेदभाव, बहिष्कार और अपमान का सामना करना पड़ता है।

 

उन्होंने साफ शब्दों में कहा— “यह सब अब बंद होना चाहिए।”

 

एंजेल के लिए सिर्फ अदालत में नहीं, समाज की अंतरात्मा में भी न्याय

 

कांग्रेस नेता ने कहा कि एंजेल चकमा के लिए न्याय की मांग केवल अदालतों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि पूरे देश की अंतरात्मा को झकझोरने वाली होनी चाहिए। उन्होंने चेताया कि एंजेल की मौत किसी आंकड़े या कुछ दिनों की सुर्खी बनकर नहीं रहनी चाहिए, बल्कि इसे शिक्षा, सहानुभूति और सामाजिक सुधार के एक बड़े आंदोलन की शुरुआत बनना चाहिए।

 

थरूर ने सुझाव दिया कि स्कूलों में सभी भारतीय समुदायों के इतिहास और संस्कृतियों को पढ़ाया जाए, मीडिया नॉर्थ-ईस्ट के लोगों को सम्मान और संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करे और समाज अपने भीतर मौजूद पूर्वाग्रहों को पहचाने व त्यागे।

 

चुप्पी भी अपराध है

 

शशि थरूर ने राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक नेतृत्व से भी सवाल किए। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में चुप रहना मिलीभगत के समान है। राजनीतिक नेताओं को बोलना चाहिए, धार्मिक नेताओं को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

 

हिंदू धर्म का उल्लेख करते हुए थरूर ने कहा कि इसका मूल स्वरूप बहुलवाद और समावेश पर आधारित है। यह एक ऐसी सभ्यता है जिसने हजारों वर्षों से विविधताओं को अपनाया है। “हिंदू होने का मतलब हर इंसान की पवित्रता का सम्मान करना है, चाहे वह कैसा भी दिखता हो या कहीं का भी हो।”

 

शब्दों से नहीं, कर्मों से श्रद्धांजलि

 

अपने बयान के अंत में शशि थरूर ने कहा कि एंजेल चकमा के लिए सिर्फ शब्दों से नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाकर शोक मनाया जाना चाहिए। उन्होंने आह्वान किया कि देश एक ऐसा समाज बनाए, जहां किसी भी भारतीय को अपनी ही जमीन पर खुद को पराया न महसूस करना पड़े।

 

 

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