
राजस्थान में बिजली व्यवस्था को आधुनिक और पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा रहा है। राज्य में 1.42 करोड़ स्मार्ट मीटर लगाने का काम तेज़ी से जारी है। बिजली विभाग के इंजीनियर घर-घर जाकर मीटर इंस्टॉल कर रहे हैं। अब तक करीब 15 लाख स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं। सरकार का दावा है कि इस पहल से बिजली चोरी रुकेगी, बिलिंग में पारदर्शिता आएगी और उपभोक्ताओं को अपनी खपत पर सीधा नियंत्रण मिलेगा। हालांकि, इसके साथ ही आम लोगों के मन में यह सवाल भी उठ रहे हैं कि इससे बिजली बिल बढ़ेगा या फायदा होगा?
क्या है स्मार्ट मीटर और क्यों जरूरी?
स्मार्ट मीटर एक डिजिटल और उन्नत मीटरिंग सिस्टम है, जो बिजली खपत का रिकॉर्ड रीयल-टाइम में करता है। यह डेटा सीधे बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के सर्वर तक पहुंचता है।
इसके प्रमुख फायदे हैं—
अनुमानित बिल और रीडिंग की गड़बड़ी से मुक्ति
मीटर रीडर पर निर्भरता खत्म
बिजली चोरी और तकनीकी नुकसान पर लगाम
उपभोक्ता मोबाइल ऐप के जरिए अपनी खपत की लाइव जानकारी ले सकेंगे
बिजली विभाग के अनुसार, स्मार्ट मीटर ‘स्मार्ट बिलिंग’ और ‘स्मार्ट पावर मैनेजमेंट’ की रीढ़ साबित होंगे।
सोलर उपभोक्ताओं को मिलेगा फायदा
जिन घरों में सोलर पैनल लगे हैं, उनके लिए स्मार्ट मीटर और भी उपयोगी साबित होंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक, अधिकतर मामलों में अलग मीटर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि डिस्कॉम बाई-डायरेक्शनल स्मार्ट मीटर लगा रहे हैं।
ये मीटर दो तरह की रीडिंग दर्ज करते हैं—
ग्रिड से ली गई बिजली
सोलर से ग्रिड को दी गई अतिरिक्त बिजली
इसी आधार पर नेट बिलिंग होगी, यानी जितनी बिजली ली गई और जितनी वापस दी गई, उसके अंतर के अनुसार बिल बनेगा।
मीटर की लागत कौन देगा?
इस परियोजना की लागत केंद्र और राज्य सरकार मिलकर वहन कर रही हैं। केंद्र सरकार प्रति स्मार्ट मीटर लगभग 900 रुपये की सब्सिडी दे रही है।
हालांकि एक स्मार्ट मीटर की अनुमानित कीमत—
सिंगल फेज: करीब 4,000 रुपये
थ्री फेज: 7,500 से 9,000 रुपये
लेकिन यह राशि उपभोक्ताओं से सीधे नहीं ली जा रही, इसलिए आम जनता पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा।
क्या स्मार्ट मीटर से बढ़ेगा बिजली बिल?
बिजली विभाग का साफ कहना है कि स्मार्ट मीटर खुद बिजली की खपत नहीं बढ़ाते। ये सिर्फ खपत को सही और रीयल-टाइम में दिखाते हैं।
असल में, कई उपभोक्ताओं को पहले गलत या अनुमानित बिल मिलते थे। स्मार्ट मीटर से जब सही खपत सामने आती है, तो उसे लेकर भ्रम पैदा होता है कि बिल बढ़ गया है।
उल्टा, इससे उपभोक्ता—
फालतू खपत पकड़ सकते हैं
बिजली बचाने की योजना बना सकते हैं
गलत बिलिंग से बच सकते हैं
2026 तक पूरा होगा लक्ष्य
राज्य सरकार ने 2026 तक पूरे राजस्थान में स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य रखा है। प्रतिदिन हजारों मीटर लगाए जा रहे हैं और चरणबद्ध तरीके से सभी घरों को इससे जोड़ा जाएगा।
निष्कर्ष:
स्मार्ट मीटर राजस्थान की बिजली व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में बड़ा कदम हैं। यदि उपभोक्ता अपनी खपत को समझदारी से नियंत्रित करें, तो यह बदलाव नुकसान नहीं, बल्कि फायदे का सौदा साबित हो सकता है।