
नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया दुनिया के सबसे विकसित और बेहतरीन देशों में से एक माना जाता है। यहां काम करने वाले विदेशी वर्कर्स के लिए स्थायी बसावट और नागरिकता हासिल करना संभव है। लाखों भारतीय यहां नौकरी कर रहे हैं, वहीं हजारों भारतीय स्टूडेंट्स पढ़ाई के बाद ऑस्ट्रेलिया में जॉब करने का सपना देखते हैं।
ऑस्ट्रेलिया में काम करने वाले वर्कर्स के लिए सबसे बड़ा लक्ष्य परमानेंट रेजिडेंसी (PR) प्राप्त करना होता है। PR मिलने के बाद ही ऑस्ट्रेलियाई नागरिक बनने का रास्ता खुलता है।
नागरिकता पाने के लिए आवश्यक शर्तें
ऑस्ट्रेलियाई नागरिकता के लिए आवेदक को कम से कम चार साल ऑस्ट्रेलिया में रहना जरूरी है। इन चार सालों में से कम से कम तीन साल लगातार ऑस्ट्रेलिया में निवास करना अनिवार्य है और कम से कम 12 महीने परमानेंट रेजिडेंट के तौर पर रहना जरूरी है। इसके अलावा आवेदक का अच्छा चरित्र होना आवश्यक है। इसका आकलन आपराधिक रिकॉर्ड और ऑस्ट्रेलियाई कानूनों के पालन के आधार पर किया जाता है।
PR मिलने पर क्या अधिकार मिलते हैं?
ऑस्ट्रेलियाई PR मिलने के बाद वर्कर को देश में अनिश्चितकाल तक रहने, काम करने और पढ़ाई करने का अधिकार मिलता है। इसके साथ ही उन्हें मेडिकेयर की सुविधा, बैंक लोन लेने का अधिकार, और परिवार के सदस्यों को स्पॉन्सर करने का अधिकार भी मिल जाता है। PR नागरिकता की दिशा में पहला और महत्वपूर्ण कदम है। नागरिकता मिलने के बाद व्यक्ति को ऑस्ट्रेलियाई पासपोर्ट और वोट देने का अधिकार भी मिल जाता है।
नागरिकता का आवेदन प्रक्रिया
ऑस्ट्रेलियाई नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिए फॉर्म 1300t भरना होता है। आवेदक को पहचान पत्र, निवास प्रमाण, चरित्र प्रमाण पत्र और जरूरत पड़ने पर अंग्रेजी कौशल का प्रमाण जमा करना होता है। 18 से 59 वर्ष की आयु के अधिकांश आवेदकों को सिटिजनशिप टेस्ट पास करना भी जरूरी है। यह टेस्ट ऑस्ट्रेलियाई मूल्यों, इतिहास, सरकार और नागरिक जिम्मेदारियों पर आधारित होता है।
आवेदन प्रक्रिया के दौरान, आवेदक को निवास नियमों और अच्छे चरित्र का पालन करना जारी रखना चाहिए। लंबा समय देश से बाहर रहने या किसी कानूनी समस्या में फंसने से आवेदन पर असर पड़ सकता है।
एक बार नागरिकता मिल जाने के बाद, ऑस्ट्रेलिया में रहना और काम करना बेहद आसान हो जाता है, साथ ही देश के सभी अधिकार भी प्राप्त हो जाते हैं।