
नई दिल्ली: अमेरिका में H-1B वीजा सिस्टम स्किल्ड वर्कर्स को देश में काम करने की इजाजत देता है। लाखों भारतीय इस वीजा के तहत अमेरिकी कंपनियों में काम कर रहे हैं। लेकिन अक्सर विदेशी वर्कर्स इस बात को समझ नहीं पाते कि वीजा एक्सटेंशन और वीजा अमेंडमेंट में क्या फर्क है, और इसी कारण कई बार नियमों के उल्लंघन से जॉब और अमेरिका में रहने का अधिकार खतरे में पड़ सकता है।
H-1B वीजा क्या है?
H-1B वीजा अमेरिकी कंपनियों को विदेशी वर्कर्स को स्पेशलाइज्ड काम के लिए हायर करने की अनुमति देता है। इस वीजा के लिए डिपार्टमेंट ऑफ लेबर और USCIS में लेबर कंडीशन एप्लिकेशन (LCA) और फॉर्म I-129 के जरिए डिटेल्स दी जाती हैं, जैसे वर्कर का जॉब रोल, लोकेशन और सैलरी।
H-1B वीजा एक्सटेंशन क्या है?
H-1B वीजा आमतौर पर 3 साल के लिए जारी होता है और इसे आगे 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है। एक्सटेंशन की जरूरत तब पड़ती है, जब:
वर्कर की नौकरी और शर्तें वही रहें।
वीजा की वैधता समाप्त होने वाली हो।
सरल भाषा में, एक्सटेंशन का मतलब है समान शर्तों पर वर्कर को अमेरिका में काम जारी रखने की इजाजत। USCIS जांच करता है कि वर्कर उसी आधार पर काम कर रहा है, जिस आधार पर एक्सटेंशन मांगा गया है।
H-1B वीजा अमेंडमेंट क्या है?
अमेंडमेंट तब जरूरी होता है, जब वर्कर की जॉब शर्तों में बदलाव हो:
नए जॉब रोल या जिम्मेदारियाँ
जॉब लोकेशन में परिवर्तन
सैलरी या वर्किंग आवर्स में बदलाव
कंपनी के बदलने की स्थिति
अमेंडमेंट का मतलब है कि USCIS को तुरंत नए बदलाव की जानकारी देना और उसकी मंजूरी लेना।
एक्सटेंशन और अमेंडमेंट में मुख्य अंतर
वीजा एक्सटेंशन: समान शर्तों पर काम जारी रखने की मंजूरी।
वीजा अमेंडमेंट: जॉब में बदलाव के बाद H-1B पर काम जारी रखने की मंजूरी।
USCIS दोनों मामलों को अलग-अलग देखता है, इसलिए अंतर को समझना बेहद जरूरी है। नियमों का उल्लंघन करना डिपोर्टेशन का खतरा पैदा कर सकता है।
वर्कर्स को क्यों होती है कंफ्यूजन?
बहुत से वर्कर्स जॉब में बदलाव को आम बात मान लेते हैं, जैसे प्रमोशन, ट्रांसफर या रिमोट वर्क। लेकिन इमिग्रेशन नियमों के हिसाब से ये बदलाव बड़े कानूनी महत्व रखते हैं। उदाहरण के लिए:
प्रमोशन से मैनेजर बनना → जॉब रोल बदलना
नए राज्य से काम करना → LCA में उल्लिखित जानकारी बदलना
कंपनी अक्सर मान लेती है कि एक्सटेंशन पर्याप्त है, लेकिन USCIS के नियमों में ऐसा नहीं माना जाता।