
कॉरपोरेट दुनिया में जहां मुनाफा अक्सर इंसान से ऊपर रखा जाता है, वहीं अमेरिका के एक उद्योगपति ने अपने फैसले से नई मिसाल कायम की है। डेटा सेंटर्स के लिए मॉड्यूलर पावर एन्क्लोजर बनाने वाली कंपनी फाइबरबॉन्ड के मालिक ग्राहम वॉकर ने कंपनी बेचते समय यह शर्त रखी कि बिक्री की रकम का 15 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारियों को बोनस के रूप में दिया जाएगा—और इस पर किसी भी तरह का समझौता नहीं होगा।
इस शर्त के साथ फाइबरबॉन्ड को अमेरिकी दिग्गज कंपनी ईटन ने करीब 1.7 अरब डॉलर में खरीदा। सौदे के बाद कंपनी के 540 फुल-टाइम कर्मचारियों को कुल 240 मिलियन डॉलर का बोनस मिला। औसतन हर कर्मचारी को एक लाख डॉलर से अधिक, जबकि कुल राशि पांच वर्षों में चरणबद्ध तरीके से दी जानी है।
शेयर नहीं थे, फिर भी मिला इनाम
खास बात यह रही कि कर्मचारियों के पास कंपनी के शेयर नहीं थे, इसके बावजूद वॉकर ने उन्हें कंपनी की सफलता का भागीदार बनाया। जून महीने में जब कर्मचारियों को सीलबंद लिफाफों में अपने बोनस की जानकारी दी गई, तो कई लोग भावुक हो गए और कुछ को तो यह मजाक लगा।
29 साल की नौकरी, अब मिली आर्थिक आज़ादी
फाइबरबॉन्ड में 29 साल से काम कर रहीं लेसिया की जब अपना लिफाफा खोलकर देखती हैं, तो उनकी आंखों से आंसू बह निकलते हैं। 1995 में 5.35 डॉलर प्रति घंटे की मजदूरी से काम शुरू करने वाली लेसिया अब 51 वर्ष की हैं और कंपनी के 254 एकड़ के कैंपस में देखरेख की जिम्मेदारी संभालती थीं।
उन्होंने अपने बोनस से होम लोन चुकाया और पास के शहर में कपड़ों की दुकान खोली। उनका कहना है,
“अब तक हम एक तनख्वाह से दूसरी तनख्वाह तक जीते थे। अब मैं सच में जी पा रही हूं।”
वरिष्ठ कर्मचारियों को मिला ज्यादा फायदा
कंपनी में लंबे समय से जुड़े कर्मचारियों को बोनस का बड़ा हिस्सा मिला। 67 वर्षीय हांग ब्लैकवेल, जो 15 साल से अधिक समय तक लॉजिस्टिक्स विभाग में काम करती रहीं, को लाखों डॉलर का बोनस मिला। उन्होंने तुरंत रिटायरमेंट ले ली और अपने पति के लिए कार खरीदी, जबकि बाकी रकम भविष्य के लिए बचा ली।
संघर्ष से सफलता तक की कहानी
फाइबरबॉन्ड की स्थापना 1982 में क्लाउड वॉकर ने की थी। 1990 के दशक में कंपनी ने तेजी से तरक्की की, लेकिन 1998 में फैक्ट्री में आग लगने से वह लगभग बंद होने की कगार पर पहुंच गई। इसके बावजूद वॉकर परिवार ने उत्पादन ठप होने के समय भी कर्मचारियों को वेतन देना जारी रखा।
2000 के दशक में डॉट-कॉम बबल फूटने से कंपनी को फिर झटका लगा और कर्मचारियों की संख्या 900 से घटकर 320 रह गई। बाद में डेटा सेंटर्स के लिए मॉड्यूलर पावर एन्क्लोजर में 150 मिलियन डॉलर का जोखिम भरा निवेश कंपनी के लिए गेम-चेंजर साबित हुआ। महामारी के दौरान क्लाउड कंप्यूटिंग की बढ़ती मांग से कंपनी की बिक्री में पिछले पांच साल में 400 प्रतिशत की छलांग लगी।
हर खरीदार के सामने एक ही शर्त
कंपनी को खरीदने में कई बड़ी कंपनियों ने रुचि दिखाई, लेकिन ग्राहम वॉकर ने हर संभावित खरीदार के सामने एक ही शर्त रखी—
बिक्री मूल्य का 15 प्रतिशत कर्मचारियों को मिलेगा।
सलाहकारों ने चेतावनी दी थी कि इससे सौदा अटक सकता है या कानूनी विवाद खड़े हो सकते हैं, लेकिन वॉकर अपने फैसले पर अडिग रहे।
तोहफा नहीं, आभार
यह बोनस ‘रिटेंशन अवॉर्ड’ के रूप में तय किया गया, जिसे पांच वर्षों में सालाना दिया जाएगा। अधिकतर कर्मचारियों को पूरी राशि पाने के लिए कंपनी में बने रहना होगा। वॉकर का कहना है,
“यह सिर्फ पैसा नहीं है, बल्कि उन लोगों के प्रति आभार है जिन्होंने कंपनी को सबसे कठिन दौर में संभाले रखा।”
फाइबरबॉन्ड की यह कहानी बताती है कि जब नेतृत्व में संवेदनशीलता और भरोसा हो, तो सफलता सिर्फ बैलेंस शीट तक सीमित नहीं रहती—वह सैकड़ों ज़िंदगियों को बदल देती है।