
नई दिल्ली, 26 दिसंबर (नवभारत टाइम्स) – प्रत्येक वर्ष 26 दिसंबर को भारत में वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के पुत्रों, साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह के अद्वितीय साहस और बलिदान को याद करने के लिए समर्पित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्स’ पर कहा, “वीर बाल दिवस श्रद्धा का दिन है, जो वीर साहिबजादों के बलिदान को स्मरण करने के लिए समर्पित है। हम माता गुजरी जी की अडिग आस्था और श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की अमर शिक्षाओं को याद करते हैं।”
दीवार में जिंदा चुनवाया गया
इतिहास गवाह है कि साहिबजादों ने अत्यंत कम उम्र में ही मुगल शासकों की क्रूरता का सामना किया और धर्म परिवर्तन के दबाव के आगे कभी झुके नहीं। उनका अदम्य साहस देखते हुए उन्हें दीवार में जिंदा चुनवाया गया। इस दुखद घटना के बाद उनकी दादी, माता गुजरी जी, भी अपने प्राण त्याग गईं। यह बलिदान आज भी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
केंद्रीय नेताओं ने किया साहिबजादों को नमन
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, शिवराज सिंह चौहान और बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा समेत कई नेताओं ने साहिबजादों के अदम्य साहस और बलिदान को याद किया। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि यह बलिदान मातृभूमि, धर्म और सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए प्रेरणा देता रहेगा।
राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साहिबजादों के बलिदान को शत-शत नमन किया और उनकी वीरता को राष्ट्रभक्ति, धर्मनिष्ठा और कर्तव्यनिष्ठा के प्रतीक बताया। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी साहिबजादों और माता गुजरी की वीरता और बलिदान को स्मरण करते हुए उन्हें नमन किया।
वीर बाल दिवस का संदेश
वीर बाल दिवस न केवल साहिबजादों के बलिदान को याद करने का दिन है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाता है कि धर्म, न्याय और सिद्धांतों की रक्षा के लिए कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए। गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों की वीरता और त्याग की गाथा हमेशा भारतीय इतिहास में प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।