Thursday, December 25

100 से अधिक वर्षों की देशभक्ति की मिसाल: सरताज सिंह परिवार की 5वीं पीढ़ी में बने लेफ्टिनेंट

 

This slideshow requires JavaScript.

 

भारतीय सेना में सेवा का एक गौरवशाली परिवार अपने देशभक्ति और वीरता के लिए सदियों से जाना जाता है। सरताज सिंह के परिवार ने 100 साल से अधिक समय से सेना को जवान दिए हैं और अब पांचवीं पीढ़ी के इस सदस्य ने भी अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ाते हुए लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन प्राप्त किया है।

 

परिवार की वीरता और देशभक्ति

 

परदादा और पूर्वज: 1897 में 36 सिख रेजिमेंट के सिपाही किरपाल सिंह ने अफगान अभियान में हिस्सा लिया। इसके बाद परदादा सूबेदार अजमेर सिंह ने दूसरे विश्व युद्ध में बीर हकीम की लड़ाई लड़ी और वीरता के लिए ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश इंडिया प्राप्त किया।

दादा और चाचा: सरताज के दादा ब्रिगेडियर हरवंत सिंह ने 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों में सेवा दी। उनके चाचा, कर्नल हरविंदर पाल सिंह, ने कारगिल युद्ध (सियाचिन) में भी परिवार की परंपरा को निभाया।

मातृ पक्ष के अधिकारी: कैप्टन हरभगत सिंह, कैप्टन गुरमेल सिंह (रिटायर्ड), कर्नल गुरसेवक सिंह (रिटायर्ड) और कर्नल इंदरजीत सिंह ने भी पहले और दूसरे विश्व युद्धों और 1971 के युद्ध में सेवा दी।

 

सरताज सिंह की यात्रा

 

सरताज सिंह ने भी सेवा, अनुशासन और देशभक्ति को चुना। इंडियन मिलिट्री एकेडमी से प्रशिक्षण पूरा करने के बाद वह 20 जाट रेजिमेंट में शामिल हुए, जो उनके पिता ब्रिगेडियर उपिंदर पाल सिंह की यूनिट भी रही।

 

5वीं पीढ़ी का गौरव

 

अब सरताज परिवार की पांचवीं पीढ़ी के सैनिक और तीसरी पीढ़ी के अधिकारी बन गए हैं। उनके लिए कमीशन केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि परिवार की विरासत और जिम्मेदारी का प्रतीक भी है।

 

प्रेरणा और संदेश

 

सरताज और उनके परिवार की कहानी युवा पीढ़ी के लिए देशभक्ति, साहस, अनुशासन और गर्व की मिसाल है। यह कहानी यह याद दिलाती है कि कठिन परिश्रम, समर्पण और परिवार की विरासत को आगे बढ़ाकर सफलता हासिल की जा सकती है।

 

(सभी तस्वीरें: x.com/IMA_IndianArmy)

 

 

Leave a Reply