
बाड़मेर: राजस्थान के बाड़मेर जिले के सुदाबेरी गांव में प्रेम और समर्पण की एक दुर्लभ मिसाल देखने को मिली। 90 वर्षीय राजादेवी और उनके 95 वर्षीय पति रूपाराम का जीवन भर का साथ मौत तक कायम रहा। रविवार को राजादेवी के निधन के कुछ घंटों बाद रूपाराम ने भी प्राण त्याग दिए। सात फेरों में ली गई कसम का यह नजारा देखकर गांव के हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं।
ग्रामीणों के अनुसार, राजादेवी और रूपाराम का दांपत्य जीवन प्रेम, सादगी और आपसी समझ का प्रतीक रहा। सुख-दुख, संघर्ष और जिम्मेदारियों में दोनों हमेशा एक-दूसरे का संबल बने। अंतिम क्षणों में भी ऐसा प्रतीत हुआ जैसे उनकी सांसें एक-दूसरे का इंतजार कर रही थीं। पति-पत्नी के एक ही दिन निधन की खबर फैलते ही पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। दोनों का अंतिम संस्कार एक साथ किया गया और चिताएं भी साथ-साथ जलीं।
यह घटना बाड़मेर जिले में अमर प्रेम की एक और मिसाल बन गई है। इससे पहले नवंबर माह में महाबार गांव में भी 89 वर्षीय हीरो देवी के निधन के कुछ घंटे बाद उनके 90 वर्षीय पति जुगताराम ने भी दुनिया को अलविदा कहा था।
सुदाबेरी गांव की यह प्रेम गाथा यह साबित करती है कि जब रिश्ता सच्चा हो, तो जीवन और मृत्यु भी उसे जुदा नहीं कर सकती। सात फेरों से शुरू हुआ साथ, अंतिम यात्रा तक एक-दूसरे का हाथ थामे रहा।
(विशेष रिपोर्ट: अमित भारद्वाज)