
सूरत/अहमदाबाद।
गुजरात के सूरत शहर में उद्योगपति दीपक इजारदार द्वारा सार्वजनिक सड़क पर ट्रैफिक रोककर बेटे का जन्मदिन मनाने और पटाखे फोड़ने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो के बाद जहां आम लोगों में आक्रोश है, वहीं उद्योगपति की सफाई ने विवाद को और हवा दे दी है। इजारदार ने दावा किया है कि वह “सेलिब्रिटी” हैं और इसी वजह से उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है।
घटना सूरत के डुमस गांव की है, जहां दीपक इजारदार ने अपने बेटे के जन्मदिन पर धार्मिक कथा का आयोजन किया था। कथा संपन्न होने के बाद, उद्योगपति अपने सुरक्षाकर्मियों और बाउंसरों के साथ सड़क पर उतर आए और कुछ समय के लिए सार्वजनिक मार्ग को अवरुद्ध कर पटाखे फोड़ने लगे। इस दौरान सड़क पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई।
हॉर्न बजाने पर नाराजगी, धमकी का आरोप
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जब पीछे से आ रही एक कार ने हॉर्न बजाकर रास्ता मांगा, तो उद्योगपति नाराज हो गए। आरोप है कि उन्होंने कार सवारों को धमकाया और आग लगने जैसी गंभीर बात भी कही। जिस कार में एक महिला और एक पुरुष सवार थे, उनके लिए यह स्थिति भयावह बन गई।
“पांच मिनट ट्रैफिक रोकना कोई बड़ा अपराध नहीं”
विवाद बढ़ने पर दीपक इजारदार ने मीडिया से कहा,
“मैं एक सेलिब्रिटी हूं। अगर मैंने पांच मिनट के लिए ट्रैफिक रोका और पटाखे फोड़े, तो इसमें कौन सा बड़ा गुनाह हो गया? मैंने सुरक्षा कारणों से कार को रुकने को कहा था, ताकि किसी हादसे से बचा जा सके।”
हालांकि, उनकी इस दलील को आम लोग कानून से ऊपर होने की मानसिकता बता रहे हैं। सोशल मीडिया पर यह सवाल जोर-शोर से उठ रहा है कि क्या अमीरों और रसूखदारों के लिए अलग कानून है?
पुलिस जांच शुरू, सख्त कार्रवाई की मांग
मामले के सामने आने के बाद सूरत पुलिस ने संज्ञान लिया है। डुमस पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर एन. वी. भरवाड़ इस पूरे प्रकरण की जांच कर रहे हैं। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या बिना अनुमति सार्वजनिक मार्ग अवरुद्ध किया गया और क्या धमकी देने के आरोप सही हैं।
होम सिटी होने से मामला और संवेदनशील
गौरतलब है कि सूरत गुजरात के डिप्टी मुख्यमंत्री हर्ष संघवी का गृह नगर है। ऐसे में यह मामला प्रशासन और सरकार दोनों के लिए परीक्षा बन गया है। लोग मांग कर रहे हैं कि कानून सबके लिए समान हो और रसूख के आधार पर किसी को छूट न दी जाए।
फिलहाल, उद्योगपति का “सेलिब्रिटी” वाला बयान जनता के गुस्से का कारण बन गया है और यह मामला एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर रहा है कि क्या सार्वजनिक सड़कें निजी जश्न के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं?