
नई दिल्ली: बच्चे की जिद और उसका गुस्सा पेरेंट्स के लिए अक्सर चुनौती बन जाता है। कभी वे जोर-जोर से रोते हैं, कभी चीखते हैं और कभी जमीन पर लेटकर अपनी मांग पूरी करवाने की कोशिश करते हैं। ऐसे समय में माता-पिता अक्सर बच्चे को समझाने या मनाने की कोशिश करते हैं, लेकिन पेरेंटिंग कोच रेनू गिरधर का कहना है कि कुछ आम गलतियां बच्चे की जिद और बढ़ा देती हैं।
पेरेंट्स की पांच आम गलतियां:
- जिद के समय बार–बार समझाना:
जब बच्चा जिद करता है और पेरेंट्स उसे बार-बार समझाने लगते हैं, तो बच्चा अत्यधिक ध्यान पाता है। इससे उसकी जिद और बढ़ती है। - बच्चे की भावनाओं को न समझना:
बच्चे के इमोशंस को न समझना भी एक बड़ी गलती है। जब माता-पिता बच्चे की भावनाओं को समझ नहीं पाते, तो बच्चे का व्यवहार और जिद्दी हो जाता है। - बच्चे को डाँटना या चिल्लाना:
गुस्से में बच्चे पर चिल्लाने या डाँटने से वह अपने इमोशंस दबाने लगता है। इसका नतीजा यह होता है कि जिद और अधिक बढ़ जाती है। - बच्चे की जिद मान लेना:
कई बार माता-पिता थक-हारकर बच्चे की हर मांग पूरी कर देते हैं। यह बच्चे को संदेश देता है कि अगर वह जिद करेगा, तो उसे वही मिलेगा जो वह चाहता है। - बच्चे को ‘जिद्दी’ जैसे लेबल देना:
बार-बार बच्चे को ‘जिद्दी’ कहने या दूसरों के सामने ऐसे शब्दों में पुकारने से बच्चा महसूस करता है कि उससे यही उम्मीद की जा रही है और वह उसी तरह का व्यवहार करने लगता है।
पेरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चे की जिद को समझदारी से हैंडल करें, भावनाओं को पहचानें और सही तरीके से प्रतिक्रिया दें। ऐसा करने से बच्चे में आत्म-नियंत्रण और समझदारी का विकास होता है।