
भारत में हर महीने करीब 1 करोड़ व्हाट्सऐप अकाउंट्स बंद किए जा रहे हैं। यह संख्या दर्शाती है कि डिजिटल दुनिया में साइबर ठगी और गलत इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। अब सरकार ने इस बढ़ते खतरे को देखते हुए व्हाट्सऐप से इन नंबरों की जानकारी मांगनी शुरू कर दी है।
क्यों है सरकार चिंतित?
व्हाट्सऐप द्वारा किए गए अकाउंट बैन से पता चलता है कि ठग लगातार लोगों को डराकर पैसे ऐंठ रहे हैं। इन नंबरों से सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी धोखाधड़ी की जाती है। एक बार अकाउंट खुल जाने के बाद ठगों को पकड़ना मुश्किल हो जाता है क्योंकि इसके लिए सिम कार्ड की जरूरत नहीं पड़ती।
सरकार का कहना है कि जब व्हाट्सऐप खुद अकाउंट बंद करता है, तो सिर्फ संख्या पता चलती है, किन्हीं नंबरों की जानकारी नहीं मिलती। यह ठगी रोकने में एक बड़ी बाधा है। अधिकारी बताते हैं कि बंद किए गए नंबरों की जानकारी से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि सिम और KYC सही हैं या फर्जी।
सरकार की कार्रवाई और निर्देश
इस साल नवंबर तक, सरकार के निर्देश पर करीब 29 लाख व्हाट्सऐप प्रोफाइल और ग्रुप बंद किए गए। इन मामलों में सरकार को नंबरों की जानकारी मिलती है। अब सरकार चाहती है कि व्हाट्सऐप जैसी कंपनियां अपने द्वारा बंद किए गए नंबरों की भी जानकारी साझा करें, ताकि साइबर अपराध को रोका जा सके।
व्हाट्सऐप की स्थिति
व्हाट्सऐप का कहना है कि उनका प्लेटफॉर्म एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन इस्तेमाल करता है। इसलिए अकाउंट बंद करने का निर्णय केवल व्यवहार पर आधारित होता है। नंबर शेयर करने में तकनीकी और कानूनी दिक्कतें हैं।
सरकार का मकसद
सरकार का उद्देश्य साइबर सुरक्षा और नागरिक सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना है। ठगी रोकने और डिजिटल अपराधियों की पहचान करने के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही जरूरी है। अधिकारी कहते हैं कि सरकार निजी जानकारी नहीं मांग रही, केवल सत्यापन और जांच के लिए नंबरों की जानकारी चाहिए।