
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव करने की तैयारी शुरू कर दी है। संसद में ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक-2025’ पेश किया गया है, जो जल्द ही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया। इस बिल के लागू होने के बाद देश के टीचिंग संस्थानों में सुधारों की प्रक्रिया में तेजी आएगी।
मुख्य बदलाव और फायदे
- थर्ड पार्टी ऑडिट और एकेडमिक सुधार
नए उच्च शिक्षा आयोग के बनने के बाद हर टीचिंग संस्थान की स्तरीय जांच (Third Party Audit) की जाएगी। मौजूदा समय में NCTE के पास थर्ड पार्टी ऑडिट करवाने, जुर्माना लगाने या चरणबद्ध कार्रवाई का अधिकार नहीं है। नए आयोग के आने से ये प्रक्रिया सशक्त होगी और संस्थानों की गुणवत्ता सुनिश्चित होगी। - न्यूनतम शैक्षणिक मानक तय होंगे
हर प्रोग्राम और कोर्स में एक न्यूनतम शैक्षणिक स्टैंडर्ड तय किया जाएगा। नियमों का उल्लंघन करने वाले संस्थानों पर जुर्माने और चेतावनी का प्रावधान भी होगा। - बहुविषयक संस्थान और नए कोर्सेज
एनईपी 2020 के अनुसार 2030 तक सभी टीचिंग संस्थानों को बहुविषयक बनना होगा।
- अब बीए, बीकॉम, बीएससी जैसे कोर्सेज के साथ-साथ स्किल एजुकेशन के अन्य कोर्सेज भी शुरू किए जा सकेंगे।
- छात्रों को नए कोर्सेज का विकल्प मिलेगा और नामांकन बढ़ाने में मदद होगी।
- सिंगल एप्लीकेशन विंडो
नए आयोग के तहत अलग-अलग जगह आवेदन करने की जगह एक ही प्लेटफॉर्म से नए कोर्सेज के लिए आवेदन किया जा सकेगा। इससे छात्रों के लिए प्रक्रिया सरल और पारदर्शी होगी।
बिल के तहत आयोग की संरचना
विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान के तहत तीन प्रमुख परिषदों की स्थापना होगी:
- विकसित भारत शिक्षा विनियमन परिषद (Regulatory Council)
- विकसित भारत शिक्षा गुणवत्ता परिषद (Accreditation Council)
- विकसित भारत शिक्षा मानक परिषद (Standard Council)
ये सभी मिलकर शिक्षा की गुणवत्ता, मानक और नियमन सुनिश्चित करेंगे।
PAR रिपोर्ट और डमी संस्थान
इस साल NCTE ने 15,000 टीचिंग संस्थानों से परफॉर्मेंस अप्रेजल रिपोर्ट (PARs) मांगी, जिनमें से 3,500 संस्थानों ने रिपोर्ट नहीं दी।
- 1,050 संस्थान कोर्ट चले गए।
- 2,500 संस्थान न तो कोर्ट गए और न ही अपील की।
नए आयोग के आने के बाद थर्ड पार्टी ऑडिट से हर संस्थान की वास्तविक स्थिति स्पष्ट होगी, जिससे सरकारी और जनता के पास सही जानकारी पहुंचेगी।
विशेषज्ञों का कहना है:
नए ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान’ से उच्च शिक्षा में पारदर्शिता बढ़ेगी, संस्थानों में बहुविषयक पाठ्यक्रम आसान होंगे और छात्रों को बेहतर विकल्प मिलेंगे। बिल के लागू होने से शिक्षा क्षेत्र में बड़े सुधार और गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया जाएगा।