
नई दिल्ली: भारत और रूस ने दुनिया के एक महत्वपूर्ण मुद्दे – क्रिटिकल मिनरल्स और रेयर अर्थ एलिमेंट्स – को लेकर साझा प्रयास शुरू करने की घोषणा की है। दिसंबर की शुरुआत में आयोजित भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में दोनों देशों ने इस दिशा में व्यापक सहयोग पर सहमति जताई।
इस नई पहल का उद्देश्य न केवल इन प्राकृतिक तत्वों की खोज, प्रोसेसिंग और रिफाइनिंग तकनीक में सहयोग करना है, बल्कि ग्रीन एनर्जी और आधुनिक तकनीकी उद्योगों के लिए आवश्यक संसाधनों की आपूर्ति सुनिश्चित करना भी है।
क्रिटिकल मिनरल पार्टनरशिप पर जोर
ET की रिपोर्ट के अनुसार, भारत और रूस मिलकर रेयर मेटल्स और रेयर अर्थ एलिमेंट्स (RM और REE) के विकास पर काम कर रहे हैं। गिरेडमेट इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर आंद्रे गोलिने के अनुसार, रूस में इन संसाधनों के भंडार में रूसी और भारतीय निवेश सैकड़ों मिलियन डॉलर तक पहुँच सकते हैं। इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और पवन ऊर्जा जैसे उद्योगों में तेजी से बढ़ रहे निवेश के चलते भारत की इन सामग्रियों में रुचि लगातार बढ़ रही है।
रेयर अर्थ मिनरल्स का विशाल भंडार
रूस के पास दुनिया के पांचवें सबसे बड़े रेयर अर्थ एलिमेंट्स के भंडार मौजूद हैं। कोला प्रायद्वीप के वोजेर्स्कोये, याकुतिया के टॉमटोर, क्रास्नोयार्स्क क्राय और इरकुत्स्क में विशाल भंडार हैं। रूस के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय के अनुसार 29 तरह के रेयर अर्थ मेटल्स कुल 658 मिलियन टन तक मौजूद हैं, जिनका खनन अभी सीमित स्तर पर हो रहा है।
चीन और अमेरिका के लिए चुनौती
इस साझेदारी का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बड़ा महत्व है। चीन ने वर्षों से रेयर अर्थ और क्रिटिकल मिनरल्स में अपना दबदबा बनाए रखा है और विश्व को अपने इशारों पर नियंत्रित करने की कोशिश की है। अमेरिका भी हाल ही में क्रिटिकल टेक्नोलॉजी और मिनरल्स गठबंधन की पहल कर रहा है। ऐसे में भारत और रूस के बीच हुई यह साझेदारी चीन और अमेरिका दोनों के लिए बड़ा झटका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वार्षिक शिखर सम्मेलन में क्रिटिकल मिनरल पार्टनरशिप पर विशेष जोर दिया और कहा कि यह सहयोग न केवल भारत और रूस के लिए, बल्कि पूरी दुनिया में ग्रीन एनर्जी और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में स्थिरता लाने में मददगार साबित होगा।