
नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर संसद में रविवार को चर्चा हुई। राज्यसभा के शीतकालीन सत्र में सरकार ने कहा कि अभी तक यह साबित करने वाला कोई ठोस डेटा मौजूद नहीं है कि AQI बढ़ने से सीधे तौर पर फेफड़ों की गंभीर बीमारियां होती हैं। हालांकि, पर्यावरण मंत्रालय ने स्वीकार किया कि वायु प्रदूषण सांस की बीमारियों और उनसे जुड़ी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा सकता है।
यह जवाब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीजेपी सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेयी के सवाल पर दिया। उन्होंने पूछा था कि क्या सरकार जानती है कि खराब AQI के कारण लोगों की फेफड़ों की क्षमता कम हो रही है और फेफड़ों में फाइब्रोसिस जैसी गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं।
सरकार ने कहा कि मौतें या बीमारियां कई कारणों पर निर्भर करती हैं – जैसे खान-पान, काम करने का तरीका, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, पुरानी बीमारियां, इम्यूनिटी और आनुवंशिकी। सिर्फ वायु प्रदूषण को ही जिम्मेदार मानना सही नहीं होगा।
वायु प्रदूषण से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदम
सरकार ने बताया कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। प्रोग्राम मैनेजर, मेडिकल ऑफिसर, नर्स, आशा कार्यकर्ता और ट्रैफिक पुलिस के लिए खास ट्रेनिंग मॉड्यूल बनाए गए हैं। इसके अलावा, वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के बारे में जानकारी अंग्रेजी, हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में तैयार की गई है। नेशनल प्रोग्राम ऑन क्लाइमेट चेंज एंड ह्यूमन हेल्थ (NPCCHH) ने विशेष रूप से बच्चों, महिलाओं और काम करने वाले लोगों के लिए भी सूचना सामग्री तैयार की है।
सरकार की इस पहल से जनता को प्रदूषण और स्वास्थ्य जोखिमों के प्रति जागरूक करने में मदद मिलेगी।