
अमेरिका में पढ़ाई का सपना देखने वाले भारतीय छात्रों के लिए F-1 स्टूडेंट वीजा लेना बेहद जरूरी है। हालांकि, वीजा पाने की प्रक्रिया उतनी आसान नहीं है जितनी एडमिशन लेने की होती है। अमेरिकी दूतावास छात्रों के डॉक्यूमेंट्स की सख्ती से जांच करता है और अगर कोई दस्तावेज़ गलत या अधूरा पाया गया, तो वीजा आवेदन रिजेक्ट भी हो सकता है।
अमेरिकी काउंसलर स्टूडेंट्स को तीन प्रमुख फैक्टर्स पर परखते हैं:
- पढ़ाई की वास्तविक इच्छा
- पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए पर्याप्त वित्तीय साधन
- पढ़ाई के बाद देश लौटने की मंशा
इन तीनों फैक्टर्स को साबित करने के लिए छात्रों को सही डॉक्यूमेंट्स दिखाना अनिवार्य है।
वीजा के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स:
- कम से कम छह महीने तक वैलिड पासपोर्ट
- DS-160 फॉर्म का बारकोड के साथ कंफर्मेशन पेज
- वीजा इंटरव्यू अपॉइंटमेंट का कंफर्मेशन लेटर
- अमेरिका की यूनिवर्सिटी द्वारा जारी I-20 फॉर्म (DSO द्वारा साइन किया गया)
- SEVIS फीस पेमेंट की रसद (Form I-901)
पढ़ाई की इच्छा साबित करने वाले डॉक्यूमेंट्स:
- यूनिवर्सिटी एडमिशन लेटर
- 10वीं और 12वीं के रिजल्ट
- अंडरग्रेजुएट या पोस्टग्रेजुएट ट्रांसक्रिप्ट (यदि लागू हो)
- TOEFL, IELTS, GRE, GMAT, SAT या ACT जैसे टेस्ट के रिजल्ट
पढ़ाई के लिए पर्याप्त पैसे होने का सबूत:
- बैंक स्टेटमेंट या बैलेंस सर्टिफिकेट
- एजुकेशन लोन डॉक्यूमेंट (यदि लिया है)
- स्कॉलरशिप, फेलोशिप या असिस्टेंशिप लेटर (यदि मिला हो)
- स्पांसरशिप डॉक्यूमेंट (यदि कोई स्पॉन्सर कर रहा हो)
नॉन–इमिग्रेंट इंटेंट दिखाने वाले डॉक्यूमेंट्स:
अमेरिका चाहता है कि स्टूडेंट अपनी डिग्री पूरी कर वापस लौटे। इसके लिए वीजा ऑफिसर चेक करते हैं कि छात्र के पास भारत में प्रॉपर्टी, जॉब ऑफर लेटर या व्यवसाय के सबूत मौजूद हैं। ये दिखाते हैं कि छात्र डिग्री हासिल करने के बाद अपने देश लौट जाएगा।
विशेष सलाह:
अमेरिका का स्टूडेंट वीजा सुरक्षित रूप से पाने के लिए सभी डॉक्यूमेंट्स सटीक, वैध और व्यवस्थित होने चाहिए। एक भी कमी आवेदन रिजेक्शन का कारण बन सकती है।