Friday, December 19

गुजरात से मस्कट तक विश्वास का साम्राज्य

भारत के एकमात्र ‘हिंदू शेख’ की कहानी, जो ओमान के सुल्तान को भी देते थे कर्ज

नई दिल्ली: भारत और ओमान के रिश्ते केवल कूटनीति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सदियों पुराने व्यापार, भरोसे और आपसी सम्मान की मजबूत नींव पर टिके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया ओमान दौरे में जब उन्होंने इन ऐतिहासिक संबंधों का उल्लेख किया, तो उस विरासत की याद ताजा हो गई, जिसे एक भारतीय कारोबारी परिवार ने अपने परिश्रम और ईमानदारी से गढ़ा था।

This slideshow requires JavaScript.

यह कहानी है खिमजी रामदास ग्रुप के मुखिया रहे कनकसी खेमजी की—जिन्हें ओमान के सुल्तान ने दुनिया के एकमात्र हिंदू शेख की उपाधि दी थी।

144 साल पुरानी विरासत

इस असाधारण यात्रा की शुरुआत 1870 में हुई, जब गुजरात के मांडवी से रामदास ठक्करसे व्यापार के लिए ओमान के मस्कट पहुंचे। उस दौर में मस्कट एक व्यस्त बंदरगाह था। भारत से अनाज, चाय और मसाले जाते थे, जबकि ओमान से खजूर, सूखा नींबू और लोहबान भारत लाया जाता था। यही व्यापार आगे चलकर एक वैश्विक कारोबारी साम्राज्य की नींव बना।

रामदास ठक्करसे के बेटे खेमजी रामदास ने इस कारोबार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया और खिमजी रामदास ग्रुप का गठन हुआ, जो आज ओमान के सबसे बड़े व्यापारिक समूहों में गिना जाता है।

जब सुल्तान को दिया गया कर्ज

तेल युग से पहले के ओमान में आर्थिक हालात आसान नहीं थे। उस समय खेमजी परिवार की प्रतिष्ठा इतनी मजबूत थी कि वे ओमान के तत्कालीन सुल्तान सैद को कर्ज तक देते थे। यह केवल धन का लेन-देन नहीं था, बल्कि भरोसे और सम्मान का प्रतीक था।

बाद में सुल्तान काबूस ने खेमजी परिवार को ओमानी नागरिकता दी—जो किसी विदेशी कारोबारी परिवार के लिए असाधारण सम्मान था।

आधुनिक युग का विस्तार

1970 में परिवार की चौथी पीढ़ी के प्रतिनिधि कनकसी खेमजी ने मुंबई से पढ़ाई पूरी कर कारोबार की कमान संभाली। उनके नेतृत्व में खिमजी रामदास ग्रुप का सालाना कारोबार एक अरब डॉलर से अधिक पहुंच गया। आज यह समूह कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, लाइफस्टाइल, इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक्स और प्रोजेक्ट्स समेत कई क्षेत्रों में 400 से अधिक वैश्विक ब्रांड्स का साझेदार है।

‘हिंदू शेख’ की उपाधि

ओमान के सामाजिक और आर्थिक विकास में अभूतपूर्व योगदान के लिए सुल्तान ने कनकसी खेमजी को ‘शेख’ की उपाधि दी—और वे दुनिया के एकमात्र हिंदू शेख कहलाए। यह सम्मान न केवल व्यक्ति विशेष का, बल्कि भारत-ओमान रिश्तों की गहराई का प्रतीक बन गया।

सम्मान और विरासत

1936 में मस्कट में जन्मे कनकसी खेमजी का निधन 18 फरवरी 2021 को 85 वर्ष की आयु में हुआ। लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है। ओमान में हिंदू समुदाय को मिलने वाला सम्मान और भारत के प्रति सद्भाव—काफी हद तक खेमजी परिवार की देन माना जाता है।

गुजरात से मस्कट तक फैली यह कहानी बताती है कि जब व्यापार ईमानदारी, विश्वास और संस्कारों के साथ किया जाए, तो वह इतिहास बन जाता है।

Leave a Reply