
नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त होते ही प्रदूषण के मुद्दे पर सियासी घमासान तेज हो गया है। सरकार और विपक्ष, दोनों एक-दूसरे पर यह आरोप लगा रहे हैं कि प्रदूषण जैसे गंभीर विषय पर चर्चा क्यों नहीं हो सकी। इस बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू पर तीखा हमला करते हुए कहा कि यह विंटर सेशन नहीं, बल्कि ‘पॉल्यूशन सेशन’ था।
सरकार ने जताया अफसोस
शीतकालीन सत्र की समाप्ति के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार प्रदूषण पर पूरे दिन की चर्चा के लिए तैयार थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने हंगामा कर सदन की कार्यवाही बाधित की, जिसके कारण इस अहम मुद्दे पर चर्चा संभव नहीं हो पाई। रिजिजू के मुताबिक, विपक्षी सांसद वेल में आ गए और अराजकता फैलने से सदन ठप हो गया।
कांग्रेस ने आरोपों को किया खारिज
सरकार के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि सरकार की बात पूरी तरह गलत है। उन्होंने कहा, “जब सरकार ने संसद में यह जवाब दिया कि प्रदूषण और फेफड़ों की बीमारियों के बीच कोई संबंध नहीं है, तो मैं हैरान रह गया।”
जयराम रमेश ने बताया कि राहुल गांधी ने लोकसभा और राज्यसभा दोनों में वायु प्रदूषण पर चर्चा की मांग की थी, लेकिन लोकसभा को अचानक अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया।
‘जनस्वास्थ्य से जुड़ा है मुद्दा’
कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रदूषण केवल पर्यावरण का नहीं, बल्कि जनस्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर संकट है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस विषय पर गंभीर चर्चा से बच रही है। जयराम रमेश ने साफ शब्दों में कहा कि प्रदूषण पर बहस न होने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराना पूरी तरह भ्रामक है।
सत्र के अंत में सियासी तकरार
विंटर सेशन के समापन के साथ ही प्रदूषण जैसे अहम मुद्दे पर बहस न हो पाने को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच टकराव खुलकर सामने आ गया है। सवाल यह है कि क्या आने वाले सत्रों में संसद इस गंभीर समस्या पर ठोस चर्चा और समाधान की दिशा में कदम बढ़ा पाएगी।