
पटना जिले में जमीन के दाखिल–खारिज (म्यूटेशन) को लेकर रैयतों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। ऑनलाइन प्रणाली के तहत जमा किए गए आवेदनों में बड़ी संख्या में रिजेक्शन सामने आने से आम लोगों में नाराजगी और असमंजस की स्थिति बनी हुई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जिले में अब तक 10.16 लाख दाखिल–खारिज आवेदन ऑनलाइन जमा किए गए हैं, जिनमें से 3.65 लाख से अधिक आवेदन रिजेक्ट कर दिए गए हैं। यह संख्या कुल आवेदनों का करीब 36 प्रतिशत है।
वहीं, 6.33 लाख आवेदन स्वीकृत किए जा चुके हैं, जबकि 17,025 आवेदन अभी भी लंबित हैं।
दस्तावेजों की कमी बनी बड़ी वजह
राजस्व विभाग से जुड़े जानकारों का कहना है कि आवेदन रिजेक्ट होने की सबसे बड़ी वजह दस्तावेजों की कमी, त्रुटिपूर्ण अपलोड और अंचल कार्यालयों के बीच समन्वय का अभाव है। कई मामलों में ऑनलाइन आवेदन करने के बाद यदि अंचल कार्यालय से समन्वय नहीं हो पाता, तो किसी न किसी कागजात की कमी बताकर आवेदन खारिज कर दिया जाता है।
हालांकि नियमों के अनुसार, रिजेक्ट हुए आवेदन को आवश्यक सुधार और दस्तावेजों के साथ दोबारा ऑनलाइन जमा करने का प्रावधान मौजूद है।
पालीगंज अंचल में हालात सबसे खराब
एक अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, पालीगंज अंचल में स्थिति सबसे अधिक चिंताजनक बताई जा रही है। यहां दाखिल–खारिज के लिए जमा 18,807 आवेदनों में से केवल 8,157 को ही मंजूरी मिली, जबकि 10,520 से अधिक आवेदन रिजेक्ट कर दिए गए।
इसी तरह दीदारगंज, मनेर, मसौढ़ी, पुनपुन और बिक्रम अंचलों में भी बड़ी संख्या में दाखिल–खारिज के आवेदन खारिज होने की जानकारी सामने आई है।
फुलवारीशरीफ में सबसे ज्यादा रिजेक्शन
सूत्रों के अनुसार, फुलवारीशरीफ अंचल में सबसे अधिक आवेदन रद्द किए गए हैं। यहां रैयतों का आरोप है कि स्पष्ट दिशा-निर्देशों और तकनीकी सहयोग के अभाव में उन्हें बार-बार आवेदन करना पड़ रहा है।
रैयतों की मांग: प्रक्रिया हो सरल
दाखिल–खारिज की प्रक्रिया को लेकर रैयतों की मांग है कि
- दस्तावेजों की सूची स्पष्ट की जाए,
- आवेदन की जांच पारदर्शी हो,
- और अंचल कार्यालयों में तकनीकी व प्रशासनिक सहयोग बढ़ाया जाए,
ताकि लोगों को बार-बार आवेदन करने की मजबूरी न झेलनी पड़े।