Thursday, December 18

‘पुंडरीक गोस्वामी को गार्ड ऑफ ऑनर क्यों?’ नगीना सांसद चंद्रशेखर का सवाल, यूपी सरकार पर संविधान से खिलवाड़ का आरोप

नगीना से सांसद और आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने मशहूर कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को गार्ड ऑफ ऑनर दिए जाने पर कड़ा ऐतराज जताया है। उन्होंने इसे संविधान पर खुला हमला बताते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

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चंद्रशेखर आजाद ने गुरुवार को सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को पुलिस लाइंस में गार्ड ऑफ ऑनर लेते हुए देखा जा सकता है। यह वीडियो करीब एक महीने पुराना बताया जा रहा है और बहराइच का है।

‘भारत कोई मठ नहीं, संवैधानिक गणराज्य है’

वीडियो के साथ साझा की गई लंबी पोस्ट में सांसद चंद्रशेखर ने लिखा—
“भारत कोई मठ नहीं, बल्कि एक संवैधानिक गणराज्य है। राज्य किसी धर्म-विशेष की जागीर नहीं हो सकता।”
उन्होंने कहा कि किसी कथावाचक को परेड और सलामी देना सिर्फ प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि राज्य की संप्रभु शक्ति और संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन है।

‘गार्ड ऑफ ऑनर राष्ट्र और संविधान का सम्मान’

चंद्रशेखर ने कहा कि गार्ड ऑफ ऑनर राज्य की संप्रभुता का प्रतीक होता है, जो संविधान, राष्ट्र और शहीदों के सम्मान में दिया जाता है, न कि किसी धार्मिक व्यक्ति, बाबा या कथावाचक की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए।

उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तथाकथित रामराज्य में अब स्थिति यह हो गई है कि—

  • आस्था को संविधान से ऊपर रखा जा रहा है
  • धर्म को कानून से ऊपर बैठाया जा रहा है
  • कथावाचकों को संवैधानिक पदों से ऊपर सम्मान दिया जा रहा है

प्रशासन पर गंभीर आरोप

सांसद ने लिखा कि यह घटना दर्शाती है कि उत्तर प्रदेश का प्रशासन अब संविधान के प्रति जवाबदेह नहीं, बल्कि धार्मिक सत्ता के सामने नतमस्तक होता जा रहा है। यह एक खतरनाक परंपरा की शुरुआत है, जिसमें राज्य धीरे-धीरे अपने संवैधानिक चरित्र को त्याग रहा है।

उठाए तीखे सवाल

चंद्रशेखर आजाद ने सरकार और प्रशासन से सीधे सवाल पूछे—

  • पुंडरीक गोस्वामी कौन हैं?
  • वे कौन-सा संवैधानिक पद धारण करते हैं?
  • किस कानून या प्रोटोकॉल के तहत उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया?
  • क्या अब उत्तर प्रदेश में धार्मिक पहचान ही नया सरकारी प्रोटोकॉल बन गई है?

मुख्यमंत्री को संविधान की याद

उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संविधान की मूल भावना की याद दिलाते हुए कहा—

  1. संविधान की प्रस्तावना भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करती है।
  2. अनुच्छेद 15 धर्म के आधार पर विशेषाधिकार देने से रोकता है।
  3. अनुच्छेद 25 से 28 राज्य को धर्म से दूरी बनाए रखने का निर्देश देते हैं, चरणवंदना का नहीं।

‘संविधान सर्वोच्च है’

अंत में चंद्रशेखर आजाद ने कहा—
“संविधान सर्वोच्च है, कोई धर्म नहीं। राज्य का कोई धर्म नहीं होता। जय भीम, जय भारत, जय संविधान, जय विज्ञान।”

यह मामला अब राजनीतिक और संवैधानिक बहस का विषय बन गया है और आने वाले दिनों में इस पर सियासत और तेज होने की संभावना है।

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