
आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट से सांसद चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सहारनपुर हिंसा मामले में आपराधिक कार्रवाई रद्द करने की मांग से जुड़ी उनकी चारों याचिकाएं खारिज कर दी हैं।
जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने बुधवार को अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि ट्रायल की मौजूदा अवस्था में आपराधिक मामलों की कार्यवाही रद्द करने के लिए कोर्ट की अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग करना उचित नहीं है। इससे पहले कोर्ट ने 27 नवंबर को मामले में आदेश सुरक्षित रख लिया था।
सहारनपुर हिंसा से जुड़ा है मामला
यह मामला सहारनपुर के कोतवाली देहात क्षेत्र में हुई हिंसा से जुड़ा है, जहां सुधीर कुमार गुप्ता की शिकायत पर चंद्रशेखर आजाद समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। चंद्रशेखर आजाद पर आईपीसी की धारा 147, 148, 149 और 435 के तहत आरोप लगाए गए हैं।
इस प्रकरण में सहारनपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट में विशेष न्यायाधीश (एडीजे) के समक्ष ट्रायल चल रहा है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस चरण में न तो मुकदमे की कार्यवाही रद्द की जा सकती है और न ही अलग-अलग मामलों को पहली एफआईआर का पूरक मानने का आधार बनता है।
दूसरी एफआईआर को बताया वैध
चंद्रशेखर आजाद की ओर से दलील दी गई थी कि घटनाएं एक जैसी होने के बावजूद अलग-अलग एफआईआर दर्ज करना कानून का दुरुपयोग है। इस पर कोर्ट ने कहा कि यदि घटना स्थल अलग हैं तो दूसरी एफआईआर दर्ज की जा सकती है। साथ ही पुलिस को पूरक चार्जशीट दाखिल करने का भी अधिकार है।
चंद्रशेखर आजाद पर चक्का जाम, तोड़फोड़ और पुलिस चौकी फूंकने जैसी गंभीर घटनाओं में भूमिका का आरोप है।
चारों याचिकाओं को किया गया खारिज
नगीना सांसद ने इन मामलों में हाईकोर्ट से राहत की मांग करते हुए कुल चार याचिकाएं दायर की थीं, लेकिन कोर्ट ने सभी को खारिज कर दिया। इसके साथ ही सहारनपुर हिंसा से जुड़े मामलों में उनके खिलाफ चल रही कानूनी प्रक्रिया जारी रहेगी।