
एक खूबसूरत बगीचे की शुरुआत बीज से नहीं बल्कि मिट्टी से होती है। लेकिन शहरों में अक्सर पौधों के लिए उपजाऊ और हल्की मिट्टी मिलना मुश्किल होता है। इस समस्या का समाधान कोकोपीट है। गार्डनिंग एक्सपर्ट जितेंद्र भट्ट ने बताया कि कोकोपीट मिट्टी में मिलाने से पौधों की ग्रोथ, फल और फूलों की संख्या तेजी से बढ़ती है।
मिट्टी में होने चाहिए ये 4 गुण
- हल्की मिट्टी – जिससे जड़ें आसानी से फैल सकें।
- बेहतर जल निकासी – पानी ठहरा न रहे, अन्यथा जड़ें सड़ सकती हैं।
- संतुलित नमी – मिट्टी नम रहे, लेकिन कीचड़ जैसी न हो।
- पोषक तत्व – नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम भरपूर हों।
कोकोपीट से मिट्टी का जादू
- हल्का और हवादार बनाना: कोकोपीट नारियल के छिलके से बना प्राकृतिक फाइबर है। यह मिट्टी में पोरसिटी बढ़ाता है और जड़ों तक ऑक्सीजन आसानी से पहुंचती है।
- नमी का मास्टर मैनेजमेंट: कोकोपीट अपने वजन से कई गुना पानी सोख सकता है और जरूरत पड़ने पर धीरे-धीरे पौधों को देता है।
- पोषक तत्वों का खजाना: कोकोपीट की ‘कैशन एक्सचेंज कैपेसिटी’ खाद को पकड़कर पौधों को धीरे-धीरे रिलीज करती है।
- आइडल pH लेवल: अधिकांश पौधों के लिए 5.7–6.5 का pH सबसे बेहतर माना जाता है, और कोकोपीट इसका संतुलन बनाए रखता है।
कोकोपीट के 6 जादुई फायदे
- प्राकृतिक एंटी-फंगल गुण: मिट्टी में फंगस और कीड़े नहीं लगने देते।
- मल्चिंग की तकनीक: गर्मियों में मिट्टी को ढककर सूरज की गर्मी से जड़ों को बचाता है।
- जल धारण क्षमता: पौधों को लंबे समय तक नमी उपलब्ध कराता है।
- हल्की मिट्टी: जड़ों के लिए आदर्श वातावरण तैयार करता है।
- पोषक तत्वों की उपलब्धता: खाद का असर लंबी अवधि तक बनाए रखता है।
- पौधों की तेजी से ग्रोथ: फल और फूलों की संख्या बढ़ाता है।
टिप: शहरी क्षेत्रों में गमलों की मिट्टी को हल्का और उपजाऊ बनाने के लिए कोकोपीट का मिश्रण करना सबसे असरदार तरीका है।
डिस्क्लेमर: लेख में दिए गए दावे यूट्यूब वीडियो पर आधारित हैं। एनबीटी इसकी पूर्ण सत्यता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता।