Thursday, December 18

पटना-पूर्णिया ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे: घोषणा के बाद कोसी-सीमांचल में जमीन के दामों में ‘आग’275 किमी लंबा एक्सप्रेसवे आर्थिक बदलाव की उम्मीद, जमीन माफिया और दलाल सक्रिय

पटना/पूर्णिया।
बिहार में पटना-पूर्णिया ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे की घोषणा ने कोसी-सीमांचल क्षेत्र में रियल एस्टेट बाजार में तहलका मचा दिया है। बजट में 12,600 करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ ही पटना से पूर्णिया तक जमीन के दाम तेजी से बढ़ने लगे हैं। विशेषकर समस्तीपुर, सहरसा, मधेपुरा और पूर्णिया जिलों में जमीन माफिया और दलाल सक्रिय हो गए हैं और जमीन की खरीद-बिक्री में तेजी आई है।

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इस महत्वाकांक्षी परियोजना के पूरा होने के बाद पटना से पूर्णिया का वर्तमान 6-7 घंटे का सफर मात्र 3 घंटे में पूरा होगा। एक्सप्रेसवे की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • लंबाई: लगभग 275 किलोमीटर
  • लागत: 12,600 करोड़ रुपये
  • रफ्तार: 120 किमी/घंटा
  • संरचना: 6-लेन का एक्सप्रेसवे, 17 बड़े पुल और 6 आरओबी (ROB)
  • सर्विस रोड: दोनों तरफ दो-लेन की सर्विस रोड ताकि स्थानीय यात्री भी आवाजाही कर सकें

जिलावार संभावित जमीन कीमतें:

  • समस्तीपुर (शहर/रोसड़ा): 4 लाख/कट्ठा → 30 लाख/कट्ठा
  • समस्तीपुर (बाढ़ प्रभावित क्षेत्र): 20 लाख/बीघा → 50 लाख/बीघा
  • सहरसा (सिमरी बख्तियारपुर): 5 लाख/कट्ठा → 50 लाख/कट्ठा
  • मधेपुरा (उदाकिशुनगंज): 1-2 लाख/कट्ठा → 5 लाख+/कट्ठा
  • पूर्णिया (शहर बाहरी इलाके): 15 लाख/कट्ठा → 25 लाख/कट्ठा

जमीन माफिया और दलाल सक्रिय:
हालांकि एक्सप्रेसवे का विस्तृत रूट (DPR) अभी पूरी तरह सार्वजनिक नहीं हुआ है, लेकिन जमीन माफिया और दलाल इस खबर का फायदा उठा रहे हैं। किसान भविष्य के ऊंचे दाम का सपना देखकर या रूट की गलत जानकारी देकर अपनी जमीन बेचने के लिए दबाव में हैं। कोसी क्षेत्र में बाढ़ और जलजमाव जैसी समस्याओं के चलते किसानों की स्थिति और अधिक संवेदनशील है।

विकास और आर्थिक बदलाव की उम्मीद:
सहरसा, मधेपुरा और पूर्णिया जैसे पिछड़े जिलों के लिए यह एक्सप्रेसवे विकास का बड़ा वरदान साबित हो सकता है। छोटे शहर जैसे उदाकिशुनगंज अब व्यावसायिक हब के रूप में विकसित होने की संभावना रखते हैं। फिलहाल खेती वाली जमीन के दाम में उतनी तेजी नहीं, लेकिन व्यावसायिक और रिहायशी प्लॉटों के लिए होड़ तेज हो गई है।

पटना-पूर्णिया एक्सप्रेसवे न केवल बुनियादी ढांचे का विकास है, बल्कि यह उत्तर बिहार की आर्थिक तस्वीर बदलने वाला प्रोजेक्ट माना जा रहा है। रूट की अनिश्चितता के बावजूद निवेशकों और स्थानीय लोगों की उत्सुकता इस बात का संकेत देती है कि इस सड़क का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है।

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