
विजय दिवस के अवसर पर बलूच नेता मीर यार बलूच ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश भेजा है। उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) और सिंध को तत्काल खाली किया जाए, अन्यथा इतिहास 1971 के युद्ध जैसा अपमानजनक पतन दोहराएगा।
मीर यार बलूच ने अपने संदेश में लिखा, “बलूचिस्तान गणराज्य की चेतावनी: इतिहास पाकिस्तान के 1971 के पतन को दोहराएगा। भारत को विजय दिवस की शुभकामनाएं। बलूचिस्तान गणराज्य एक बार फिर पाकिस्तान की कब्जा करने वाली ताकतों को साफ और सीधी चेतावनी देता है – बलूचिस्तान, पीओके और सिंध को खाली करें, अन्यथा 1971 जैसा अपमानजनक पतन झेलने का जोखिम उठाएँ। अत्याचार, कब्जा और क्रूरता अधिक समय तक टिकते नहीं; केवल जवाबदेही स्थायी होती है।”
उन्होंने 1971 के युद्ध का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय सेना और बांग्लादेश मुक्ति सेनाओं के सामने उस समय लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था। मीर यार बलूच ने कहा, “ढाका के रमना रेस कोर्स में लेफ्टिनेंट जनरल ए ए नियाज़ी ने भारतीय सेना के कमांडर-इन-चीफ जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण किया – यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण था।”
बलूच नेता ने भारतीय सशस्त्र बलों की बहादुरी की सराहना करते हुए लिखा, “मानवता के खिलाफ अपराध, चाहे कितने समय तक शक्ति या प्रचार से सुरक्षित रहें, अंततः अपमान और हार की ओर ले जाते हैं। हम बहादुर भारतीय सशस्त्र बलों को सलाम करते हैं, जिन्होंने न्याय, मानवता और शांति के पक्ष में मजबूती से खड़े रहते हुए लाखों निर्दोषों की जान बचाई। यह दिन सभी कब्जा करने वाली ताकतों के लिए चेतावनी और उत्पीड़ित राष्ट्रों के लिए आशा का संदेश है – इतिहास अत्याचार को माफ नहीं करता, और स्वतंत्रता हमेशा जीतती है।”
इस विजय दिवस पर बलूच नेता का यह संदेश न केवल पाकिस्तान के लिए चेतावनी है, बल्कि इतिहास और न्याय की ताकत को याद दिलाने वाला महत्वपूर्ण संकेत भी है।