Wednesday, December 17

राज्य और केंद्र-शासित प्रदेशों में एनआईए की समर्पित अदालतें स्थापित, त्वरित सुनवाई सुनिश्चित

नई दिल्ली: आतंकवाद और संगठित अपराध से जुड़े मामलों में त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने हर राज्य और केंद्र-शासित प्रदेश में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की समर्पित अदालतें स्थापित करने का निर्णय लिया है। सुप्रीम कोर्ट को केंद्र ने यह जानकारी मंगलवार को दी।

This slideshow requires JavaScript.

केंद्र ने बताया कि जहां आतंकवाद विरोधी कानून के तहत 10 से अधिक मामले विचाराधीन हैं, वहां एक से अधिक विशेष एनआईए अदालतें स्थापित की जाएंगी। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 16 विशेष अदालतों की स्थापना की जा रही है, जो आगामी तीन महीनों में काम शुरू कर देंगी।

दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ—प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची—को बताया कि एनसीआर में संगठित अपराध और आतंकवाद से जुड़े मामलों को तेजी से निपटाने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। पीठ ने सुझाव दिया कि एनसीआर क्षेत्र में विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच क्षेत्राधिकार संबंधी विवाद से बचने के लिए महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) जैसे कड़े कानून लागू करने पर विचार किया जा सकता है।

पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि कभी-कभी अपराध एक राज्य में घटता है और अपराधी दूसरे राज्य में चला जाता है। ऐसे मामलों में यह तय करना कठिन हो जाता है कि किस अदालत या एजेंसी को मामले का संज्ञान लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस संदर्भ में कई जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की, जिसमें नामजद गैंगस्टर महेश खत्री और नक्सल समर्थक कैलाश रामचंदानी के मामले शामिल थे।

केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि केंद्रीय गृह सचिव ने विभिन्न राज्यों के गृह सचिवों के साथ ऑनलाइन बैठक कर विशेष एनआईए अदालतों के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा और न्यायिक पदों का प्रस्ताव तैयार किया है। इसके लिए आवर्ती और गैर-आवर्ती व्यय के रूप में लगभग एक करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा गया है।

दिल्ली में स्थापित 16 विशेष अदालतें केवल एनआईए और विशेष कानून से जुड़े मामलों की दैनिक सुनवाई करेंगी और अन्य मामलों पर केवल तभी विचार करेंगी जब अदालतें खाली हों। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मौजूदा अदालतों को विशेष अदालत के रूप में नामित करके उन पर अतिरिक्त बोझ नहीं डाला जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को इस मामले में कार्रवाई रिपोर्ट जमा करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई जनवरी 2026 में निर्धारित की गई है।

Leave a Reply