Saturday, December 13

पाकिस्तान ने 1998 के बाद नहीं किया कोई परमाणु परीक्षण, भारत के आरोपों पर भड़का इस्लामाबाद

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इस्लामाबाद से ब्यूरो रिपोर्ट

पाकिस्तान ने शुक्रवार को भारत के गुप्त परमाणु गतिविधियों से जुड़े आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि उसने मई 1998 के बाद कोई भी परमाणु परीक्षण नहीं किया है। पाकिस्तान ने भारत के आरोपों को “निराधार और दुर्भावनापूर्ण” बताते हुए कहा कि नई दिल्ली का रवैया केवल क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ाने वाला है।

पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा —

“हमने आखिरी बार मई 1998 में परमाणु परीक्षण किया था। उसके बाद से पाकिस्तान ने स्वेच्छा से परमाणु परीक्षणों पर रोक लगा रखी है। हमारी नीति पूरी तरह जिम्मेदार और स्थिर है।”

अमेरिका के आरोपों पर पाकिस्तान ने तोड़ी चुप्पी

दरअसल, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के दौरान कहा था कि चीन, रूस, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान जैसे देश भूमिगत परमाणु परीक्षण (Underground Nuclear Tests) कर रहे हैं।
इस पर उस समय इस्लामाबाद ने कोई जवाब नहीं दिया था।
लेकिन हाल ही में भारत द्वारा दिए गए बयान के बाद पाकिस्तान ने चुप्पी तोड़ दी है।

पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप के आरोपों से बचने के लिए पाकिस्तान ने पहले प्रतिक्रिया नहीं दी थी।
अब जब भारत के विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान की परमाणु गतिविधियों को लेकर सवाल उठाए, तो पाकिस्तान ने अपनी स्थिति साफ की।

भारत ने उठाए थे गंभीर सवाल

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि —

“गुप्त और अवैध परमाणु गतिविधियां पाकिस्तान के इतिहास का हिस्सा रही हैं। दशकों से वह तस्करी, निर्यात नियंत्रण उल्लंघन, गुप्त साझेदारियों और ए.क्यू. खान नेटवर्क के जरिए परमाणु प्रसार में लिप्त रहा है।”

भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान की गतिविधियों पर ध्यान देने की अपील भी की थी।

पाकिस्तान का पलटवार — “भारत कर रहा है तथ्यों को तोड़-मरोड़”

इस बयान के जवाब में ताहिर अंद्राबी ने कहा कि —

“भारत स्पष्ट रूप से तथ्यों को तोड़-मरोड़ रहा है। अमेरिका पहले ही राष्ट्रपति ट्रंप की टिप्पणियों पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुका है। भारत इन बयानों को गलत तरीके से प्रस्तुत कर अपनी राजनीतिक मंशा पूरी करना चाहता है।”

अंद्राबी ने आगे कहा कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र महासभा के उन प्रस्तावों का समर्थन करता है जिनमें परमाणु परीक्षणों पर वैश्विक प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है, जबकि भारत ऐसे प्रस्तावों पर अनुपस्थित रहता है।

विशेषज्ञों की राय

राजनयिक विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की यह सफाई ऐसे समय आई है जब दक्षिण एशिया में परमाणु प्रतिस्पर्धा को लेकर चिंता लगातार बढ़ रही है।
भारत और पाकिस्तान दोनों ही 1998 के बाद कोई आधिकारिक परमाणु परीक्षण नहीं कर चुके हैं, लेकिन भरोसे और पारदर्शिता की कमी इस क्षेत्र को संवेदनशील बनाती है।

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