
गुना/ग्वालियर।
मध्य प्रदेश की राजनीति में केंद्रीय मंत्री और गुना से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया एक बार फिर चर्चा के केंद्र में हैं। वजह बनी है—गुना में खाद की लंबी कतार में खड़ी एक आदिवासी महिला की मौत और इसके बाद सिंधिया की त्वरित सक्रियता। इस घटना ने जहां प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया, वहीं सिंधिया की ग्वालियर-चंबल अंचल में बढ़ती राजनीतिक सक्रियता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
गुना की इस हृदयविदारक घटना के बाद सिंधिया ने मौके पर पहुंचकर वरिष्ठ अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई, खाद वितरण केंद्रों का निरीक्षण किया और व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए। इतना ही नहीं, उन्होंने मृत महिला के परिजनों से मुलाकात कर स्वयं मृत्यु प्रमाण पत्र भी सौंपा। इसे उनकी ‘जनसंपर्क राजनीति’ का अहम संकेत माना जा रहा है।
ग्वालियर-चंबल में बढ़ती सक्रियता
हाल के महीनों में सिंधिया की गतिविधियां ग्वालियर में अधिक देखने को मिली हैं। अवैध खनन की शिकायतों पर उन्होंने सख्त रुख अपनाया, जिसके बाद सात डंपर और मशीनरी जब्त की गई। सितंबर में विकास कार्यों की समीक्षा बैठक में उनका अचानक पहुंचना भी चर्चा का विषय बना था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव के समर्थन से सिंधिया ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में अपनी पकड़ और मजबूत कर रहे हैं।
उतार-चढ़ाव भरा राजनीतिक सफर
सिंधिया का राजनीतिक करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। 2019 में कांग्रेस से हार के बाद 2020 में उन्होंने भाजपा का दामन थामा, जिससे प्रदेश की सत्ता की तस्वीर ही बदल गई। 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपने पारिवारिक गढ़ गुना से बड़ी जीत दर्ज कर फिर से मजबूत वापसी की। समर्थकों का दावा है कि अब वे ‘महाराजा’ वाली छवि से बाहर निकलकर जमीन से जुड़े नेता के रूप में खुद को स्थापित कर रहे हैं।
क्या बेटे आर्यमन के लिए तैयार हो रहा मंच?
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी तेज है कि सिंधिया ग्वालियर को इसलिए ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं ताकि अपने बेटे आर्यमन सिंधिया के लिए राजनीतिक जमीन तैयार कर सकें। ग्वालियर सिंधिया परिवार की पारंपरिक सीट रही है और यहां जनता का भावनात्मक जुड़ाव भी रहा है। हालांकि, समर्थक इसे पारिवारिक राजनीति नहीं बल्कि क्षेत्र के प्रति स्वाभाविक लगाव और विकास के प्रयास बताते हैं।
200 करोड़ के विकास कार्यों की रफ्तार
सिंधिया अपने निर्वाचन क्षेत्र में करीब 200 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं को गति दे रहे हैं। इनमें रेलवे ओवरब्रिज, खेल परिसर, शहरी जंगल, सार्वजनिक भवन और सड़क परियोजनाएं शामिल हैं। सिंगावासा में बन रहे दो बड़े रेलवे ओवरब्रिज उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के अन्य हिस्सों से संपर्क को बेहतर बनाएंगे। इसके अलावा निवारी नदी पर खोखर पुल, सिरसी-हाथीकुंदन सड़क और बिजली आपूर्ति के लिए चार नए 33/11 केवी सबस्टेशन भी निर्माणाधीन हैं।
ग्वालियर में भी विकास की टीम सक्रिय
ग्वालियर में अटके प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए सिंधिया ने अलग टीम बनाई है। अंबेडकर मेमोरियल, स्टेशन पुनर्विकास योजना, सड़क मरम्मत, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, नए स्कूल भवन और पत्रकार भवन जैसे प्रोजेक्ट्स तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
कुल मिलाकर, सवाल यह नहीं कि सिंधिया कहां ज्यादा सक्रिय हैं, बल्कि यह है कि उनकी यह सक्रियता केवल विकास तक सीमित है या इसके पीछे आने वाली पीढ़ी की राजनीतिक तैयारी भी छिपी है—जिसका जवाब आने वाले चुनावी समीकरणों में ही सामने आएगा।