Saturday, December 13

‘धुरंधर’ पर सपा प्रवक्ता का हमला: पाकिस्तान के खिलाफ नफरत फैलाने का आरोप, ‘वीर-ज़ारा’ का दिया उदाहरण

गाजियाबाद।
आदित्य धर निर्देशित फिल्म ‘धुरंधर’ को लेकर सियासी बयानबाज़ी तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता और ग्रेटर नोएडा के दादरी से नेता राजकुमार भाटी ने फिल्म पर गंभीर आरोप लगाते हुए इसे पाकिस्तान के खिलाफ नफरत फैलाने वाली करार दिया है। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक बहस छिड़ गई है।

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“फिल्म और साहित्य में पाकिस्तान फोबिया”

मीडिया से बातचीत में सपा प्रवक्ता राजकुमार भाटी ने कहा कि भारत के साहित्यकारों और फिल्म निर्माताओं में लंबे समय से “पाकिस्तान फोबिया” देखने को मिलता है।
उन्होंने कहा,
“हमारे यहां कई कवि और फिल्मकार पाकिस्तान को गाली देकर तालियां और लोकप्रियता बटोरते हैं। वीर रस के नाम पर पाकिस्तान को कोसना एक चलन बन गया है, जबकि साहित्य और सिनेमा का काम नफरत नहीं, बल्कि समाज को दिशा देना है।”

‘धुरंधर’ पर सीधा आरोप

राजकुमार भाटी ने ‘धुरंधर’ को जनहित के खिलाफ बताते हुए कहा कि ऐसी फिल्में भारत-पाकिस्तान के बीच नफरत को और बढ़ाती हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि ‘वीर-ज़ारा’ जैसी फिल्मों ने दोनों देशों के बीच मानवीय रिश्तों और एकता का संदेश दिया था।
उन्होंने मशहूर शायर उदय प्रताप की नज़्म का भी जिक्र किया, जिसमें पाकिस्तान को लेकर सकारात्मक भावनाएं व्यक्त की गई थीं।

राजनीति में भी पाकिस्तान कार्ड का आरोप

सपा प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर राजनेताओं को भी आड़े हाथों लिया।
उन्होंने कहा,
“पाकिस्तान में नेता भारत को गाली देकर वोट मांगते हैं और भारत में भी कुछ राजनीतिक दल सिर्फ पाकिस्तान को गाली देकर राजनीति चमकाते हैं। इससे दोनों देशों की आम जनता का नुकसान होता है।”
उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान भारत से टकराव की नीति अपनाकर खुद को नुकसान पहुंचा चुका है और भारत को भी इस मानसिकता से बाहर निकलना चाहिए।

“नफरत से नहीं, संवाद से होगा फायदा”

राजकुमार भाटी ने कहा कि केवल पाकिस्तान विरोधी फिल्में, कविताएं और उपन्यास लिखने से किसी को लाभ नहीं होगा।
“अगर हम मित्रता, भाईचारे और शांति की बात करेंगे, तभी दोनों देशों को फायदा होगा। नफरत की राजनीति से सिर्फ तनाव बढ़ेगा,”—ऐसा उनका कहना था।

सोशल मीडिया पर मचा घमासान

सपा प्रवक्ता के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है।
कुछ यूजर्स ने सवाल उठाया कि पाकिस्तान को लेकर इस तरह की सहानुभूति आखिर क्यों?
वहीं, कुछ लोगों ने इस बयान की तुलना अन्य राज्यों के चुनावों में विपक्षी दलों को हुए राजनीतिक नुकसान से करते हुए 2027 के यूपी चुनाव पर इसके असर की भी चर्चा शुरू कर दी है।

फिलहाल, ‘धुरंधर’ को लेकर शुरू हुई यह बहस केवल सिनेमा तक सीमित नहीं रही, बल्कि अब यह राष्ट्रवाद, राजनीति और अभिव्यक्ति की आज़ादी जैसे बड़े मुद्दों से जुड़ती जा रही है।

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