
पटना।
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के महिलाओं की सुरक्षा को लेकर दिए गए सार्वजनिक बयान के बाद बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। सिंगापुर में रह रहीं रोहिणी आचार्य की एक सोशल मीडिया पोस्ट ने न सिर्फ सियासी बहस छेड़ दी, बल्कि अब जेडीयू ने उन्हें पूर्ण सुरक्षा देने की पेशकश कर दी है। दूसरी ओर, इस पूरे घटनाक्रम पर आरजेडी और लालू परिवार की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है।
जेडीयू का स्पष्ट संदेश—बेटियों की सुरक्षा सर्वोपरि
रोहिणी आचार्य की पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए जेडीयू ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार महिलाओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है।
जेडीयू के राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा ने कहा,
“बेटियों की सुरक्षा और अधिकार हमारे लिए सबसे अहम हैं। रोहिणी आचार्य की चिंताओं पर सरकार गंभीरता से विचार करेगी। नीतीश कुमार के दो दशक लंबे शासन में कानून-व्यवस्था और महिला सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है।”
उन्होंने यह भी कहा कि चुनावी सफलता में महिला मतदाताओं की भूमिका निर्णायक रही है।
‘मदद मांगें तो तुरंत सुरक्षा’—नीरज कुमार
जेडीयू एमएलसी और मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा कि यदि रोहिणी आचार्य सुरक्षा की मांग करती हैं, तो सरकार उन्हें पूरी सुरक्षा उपलब्ध कराएगी।
उन्होंने कहा,
“यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक बेटी, जिसने अपने पिता को किडनी दान दी, उसे अपने मायके में सुरक्षा की चिंता व्यक्त करनी पड़ रही है। जैसे ही वह मदद मांगेंगी, महिला सुरक्षा बल तैनात किया जाएगा।”
नीरज कुमार ने इस मुद्दे पर आरजेडी के ‘सामाजिक न्याय’ के दावे पर भी सवाल उठाए।
रोहिणी की पोस्ट ने बढ़ाई सियासी बेचैनी
रोहिणी आचार्य ने अपने पोस्ट में लिखा था कि हर बेटी को यह भरोसा मिलना चाहिए कि उसका मायका एक सुरक्षित स्थान है, जहां वह बिना डर, शर्म या सफाई दिए लौट सके।
उनके शब्दों को कई लोग पारिवारिक कलह और राजनीतिक संकेत के रूप में देख रहे हैं।
आरजेडी और लालू परिवार की चुप्पी
इस पूरे मामले पर आरजेडी की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। न तो पार्टी ने रोहिणी के बयान पर कुछ कहा और न ही जेडीयू के सुरक्षा ऑफर पर कोई टिप्पणी की गई है।
गौरतलब है कि रोहिणी आचार्य हाल ही में अपने माता-पिता का घर छोड़ने, पारिवारिक रिश्तों से दूरी बनाने और राजनीति से अलग होने की घोषणा के बाद सुर्खियों में रही हैं।
राजनीति से आगे बढ़ता मामला
अब यह मुद्दा केवल महिला सुरक्षा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि लालू परिवार के भीतर के हालात और आरजेडी की सियासी स्थिति पर भी सवाल खड़े कर रहा है।
जेडीयू के इस कदम को जहां महिला सुरक्षा के संदेश के तौर पर देखा जा रहा है, वहीं आरजेडी की खामोशी ने इस बहस को और तेज कर दिया है।
स्पष्ट है कि ‘मायके की सुरक्षा’ से जुड़ा यह मामला आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में और गर्माहट पैदा कर सकता है।