
नई दिल्ली: अमेरिका के बाद मेक्सिको ने भी भारत के निर्यात पर बड़ा झटका दिया है। मेक्सिको ने उन देशों के सामान पर 5% से लेकर 50% तक का टैरिफ लगाने का फैसला किया है जिनके साथ उसका ट्रेड एग्रीमेंट नहीं है, और इसमें भारत और चीन शामिल हैं। यह टैरिफ अगले साल से लागू होगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से भारत के ऑटो और मशीनरी सेक्टर को सबसे अधिक नुकसान होगा। भारत से मेक्सिको को हर साल गाड़ियां, ऑटो पार्ट्स, बाइक्स, इलेक्ट्रिक और इंजीनियरिंग मशीनरी, दवाएं और ऑर्गेनिक केमिकल्स निर्यात किए जाते हैं।
ऑटो सेक्टर पर असर
भारत से मेक्सिको को होने वाले निर्यात में गाड़ियां और ऑटो पार्ट्स सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। फॉक्सवैगन, हुंडई और मारुति सुजुकी जैसी कंपनियां सालाना करीब 1.1 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट करती हैं, जिसमें लगभग 90,000 गाड़ियां शामिल हैं। टू-व्हीलर कंपनियों जैसे रॉयल एनफील्ड, टीवीएस, बजाज और होंडा की बाइक्स की मांग भी मेक्सिको में अच्छी है, जो इस टैरिफ से प्रभावित हो सकती है।
स्कोडा ऑटो की मेक्सिको में गाड़ियों का करीब 50% हिस्सा है, इसके बाद हुंडई, निसान और सुजुकी का नंबर आता है। ऑटो कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के डायरेक्टर जनरल विन्नी मेहता के अनुसार, इस टैरिफ से पावरट्रेन, ड्राइवलाइन पार्ट्स, प्रिसिजन फोर्जिंग, चेसिस और ब्रेक सिस्टम, प्रमुख इलेक्ट्रिकल और आफ्टर-मार्केट प्रोडक्ट्स पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।
व्यापार पर व्यापक असर
EY इंडिया के टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल का कहना है कि यह कदम वैश्विक व्यापार तनाव बढ़ने का संकेत है। इससे सप्लाई चेन प्रभावित हो सकती है, जो अमेरिका में निर्यात बढ़ाने के लिए मेक्सिको का उपयोग करते थे। इसके अलावा टेक्सटाइल और इंजीनियरिंग सामान पर भी असर देखने को मिल सकता है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस बढ़े हुए टैरिफ से मेक्सिको सरकार को लगभग 2.8 अरब डॉलर का रेवेन्यू मिलेगा। वहीं, भारतीय निर्यात महंगा होने की वजह से विदेशी बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति प्रभावित हो सकती है।