Thursday, December 11

दिल्ली-एनसीआर में सड़कों पर पार्किंग पर रोक लगाने की CAQM की सख्त सिफारिश, प्रदूषण से निपटने हेतु सुप्रीम कोर्ट को सौंपा एक्शन प्लान

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर की बढ़ती प्रदूषण समस्या को देखते हुए मीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने सुप्रीम कोर्ट से सख्त अनुरोध किया है कि अक्टूबर से जनवरी तक सार्वजनिक सड़कों पर वाहनों की पार्किंग पर पूरी तरह रोक लगाई जाए। साथ ही, 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर कार्रवाई न करने के पुराने आदेश पर पुनर्विचार की भी मांग की गई है।

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CAQM का तर्क:
CAQM का कहना है कि सड़कों पर खड़ी गाड़ियां ट्रैफिक जाम बढ़ाती हैं, जिससे वाहनों से निकलने वाला धुआं और प्रदूषण बढ़ता है। इसलिए दिल्ली और एनसीआर पुलिस को “नो पार्किंग” नियम को कड़ाई से लागू करने और ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अपनाने की हिदायत दी गई है।

पुराने वाहनों पर पुनर्विचार:
CAQM ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि भले ही पुराने BS-II या BS-III वाहन चलने लायक हों, लेकिन उनके उत्सर्जन से हवा में BS-IV और BS-VI वाहनों की तुलना में कहीं अधिक प्रदूषण फैलता है। इस कारण से पुराने वाहनों पर कार्रवाई की आवश्यकता है।

धूल भी प्रदूषण का बड़ा कारण:
CAQM ने यह भी कहा कि दिल्ली-एनसीआर में निर्माण स्थलों और कच्ची सड़कों से उठने वाली धूल भी प्रदूषण बढ़ाती है। ट्रैफिक पुलिस को जाम वाली जगहों की पहचान कर उन्हें तुरंत सुधारने के निर्देश दिए गए हैं।

अल्पकालिक और दीर्घकालिक कार्य योजना:
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में CAQM और केंद्र सरकार को विशेषज्ञों से सलाह लेकर प्रदूषण नियंत्रण के लिए कार्य योजना तैयार करने को कहा था।

  • अल्पकालिक योजना: एक महीने के भीतर धूल नियंत्रण और पराली प्रबंधन के लिए आवश्यक कदम उठाना।
  • दीर्घकालिक योजना: 2000cc या उससे ज्यादा क्षमता वाली लग्जरी डीजल कारों/एसयूवी पर पर्यावरण संरक्षण शुल्क बढ़ाना, इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम लागू करना, सड़क किनारों को पक्का और हरित बनाना, उद्योगों के लिए सख्त प्रदूषण मानक तय करना, और कोयले के इस्तेमाल पर रोक लगाना।

विशेष प्रावधान:
CAQM ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर के सभी शहरों — दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, गुरुग्राम, फरीदाबाद और सोनीपत — में ट्रैफिक सिस्टम को इंटीग्रेट करके प्रदूषण कम किया जा सकता है।

निष्कर्ष:
दिल्ली-एनसीआर की हवा की गुणवत्ता पर नियंत्रण पाने के लिए CAQM ने सख्त कदम उठाने की जरूरत जताई है। सुप्रीम कोर्ट को भेजा गया यह एक्शन प्लान प्रदूषण रोकने की दिशा में ठोस और व्यवस्थित रणनीति के रूप में सामने आया है।

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