
कोटा। राजस्थान पुलिस ने एक नया सुरक्षा नियम लागू किया है। इसके तहत अब अपराधियों की गिरफ्तारी की तस्वीरों में पुलिसकर्मी अपने चेहरे नहीं दिखाएंगे। मीडिया में केवल उनकी पीठ दिखाई जाएगी। यह निर्णय पुलिसकर्मियों और उनके परिवार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
पीठ दिखेगी, चेहरा नहीं
डीजीपी राजीव शर्मा ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। कोटा सिटी एसपी तेजस्विनी गौतम ने बताया कि सभी पुलिसकर्मी इस आदेश का पालन कर रहे हैं। अब मीडिया में अपराधियों की गिरफ्तारी की तस्वीरों में पुलिसकर्मी अपने चेहरे छिपाकर, पीछे से खड़े होकर फोटो करवाएंगे।
सुरक्षा और परिवार की रक्षा
विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम के पीछे पुलिसकर्मियों और उनके परिवार की सुरक्षा प्रमुख कारण है। यदि पुलिसकर्मियों के चेहरे मीडिया में आते हैं, तो अपराधी या उनके सहयोगी उन्हें पहचान सकते हैं और खतरा उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा अपराधियों के परिजन या अन्य लोग प्रलोभन या दबाव डालने की कोशिश कर सकते हैं।
हालिया उदाहरण: कोटा रेलवे कॉलोनी
हाल ही में रेलवे कॉलोनी पुलिस ने वृद्धा को ठगने वाले तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। पीड़िता वैजयंती बाई (70) ने बताया कि 1 दिसंबर को तीन युवकों ने उसे नोटों का लालच देकर सोने के टॉप्स ठग लिए। बाद में पता चला कि नोट कागज थे। आरोपियों प्रभु (जावरा), वीरचंद (कानोता, जयपुर) और गणेश को गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तारी के दौरान पुलिसकर्मी अपने चेहरे छिपाकर पीछे से खड़े हुए, जबकि अपराधियों के चेहरे कैमरे में साफ दिखे।
नतीजा
अब से राजस्थान पुलिस की गिरफ्तारी की तस्वीरों में केवल पीठ दिखाई जाएगी और पुलिसकर्मियों की पहचान मुश्किल होगी। इस कदम से पुलिसकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और अपराधियों के प्रलोभन या धमकी देने की संभावना कम होगी।
यह नया नियम पुलिस सुरक्षा और मीडिया में पेशेवर तरीके से गिरफ्तारी की छवि दोनों को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया है।
