Tuesday, December 9

खजुराहो में मोहन कैबिनेट की बड़ी घोषणाएं: सागर–दमोह फोरलेन से लेकर चीतों का नया घर तक

छतरपुर। मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने खजुराहो में कैबिनेट की बैठक में कई अहम फैसले लिए हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक में बुंदेलखंड के औद्योगिक विकास, रोजगार सृजन और स्वास्थ्य एवं आधारभूत ढांचे के विस्तार पर विशेष ध्यान दिया गया।

सागर–दमोह फोरलेन

कैबिनेट ने सागर से दमोह तक 76 किलोमीटर लंबे फोरलेन के निर्माण को मंजूरी दी है। इस परियोजना के लिए 2,059 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। योजना में 13 अंडरपास, 3 बड़े पुल, 9 मध्यम पुल, 1 आरओबी, 13 बड़े जंक्शन और 42 मध्यम जंक्शन का निर्माण शामिल है।

चीतों का नया ठिकाना: नौरादेही अभ्यारण

प्रदेश में चीतों के संरक्षण के लिए वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व, सागर में चीतों को बसाने की सैद्धांतिक स्वीकृति मिली है। वर्तमान में मध्य प्रदेश में 31 चीते हैं, जिनमें 28 श्योपुर और 2 गांधी सागर अभ्यारण में हैं।

मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों का उन्नयन

  • दमोह, छतरपुर और बुधनी मेडिकल कॉलेज में 990 नियमित और 615 आउटसोर्स पदों की स्वीकृति दी गई।
  • प्रदेश के 11 जिलों में 12 स्वास्थ्य संस्थाओं का उन्नयन किया जाएगा।
  • नीमच के भादवामाता उप स्वास्थ्य केंद्र को 30 बिस्तरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बदला जाएगा।
  • शाजापुर, उज्जैन, खंडवा, पन्ना, खरगोन, सिंगरौली, रीवा, बैतूल, अनूपपुर और सागर के अस्पतालों का बिस्तर बढ़ाकर 50 या 100 बिस्तर किए जाएंगे।

औद्योगिक विकास और रोजगार

  • बुंदेलखंड क्षेत्र के सागर औद्योगिक क्षेत्र ‘मसवासी ग्रंट’ के लिए विशेष औद्योगिक प्रोत्साहन पैकेज मंजूर किया गया। इससे 24,240 करोड़ रुपए का निवेश आएगा और 29 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा।
  • पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के तहत 600 युवाओं को जापान और जर्मनी भेजने के लिए परियोजना की मंजूरी दी गई।

अग्निशमन सेवाओं का आधुनिकीकरण

मध्य प्रदेश में अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए 397.54 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई। इसमें 75% केंद्र और 25% राज्य योगदान शामिल है।

सिंचाई परियोजनाएं

दमोह के तेंदूखेड़ा में 165 करोड़ रुपए की झापन नाला मध्यम सिंचाई परियोजना को मंजूरी मिली। इस परियोजना से 17 गांवों के 3,600 हेक्टेयर क्षेत्र का सिंचाई लाभ मिलेगा।

कैबिनेट की ये घोषणाएं बुंदेलखंड के विकास, रोजगार सृजन और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होंगी।

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