
सोनाक्षी सिन्हा और जहीर इकबाल की शादी पिछले साल सादगी से हुई, लेकिन इसके पीछे एक ऐसी कहानी छुपी है, जिसे सुनकर बहुत से कपल्स रिश्ते को मजबूत करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। हाल ही में सोहा अली खान के पॉडकास्ट में सोनाक्षी ने खुलासा किया कि उनके और जहीर के रिश्ते के शुरुआती तीन साल बहुत ही मुश्किल भरे थे। इस दौरान लगातार झगड़े, गलतफहमियां और दूरी इस हद तक बढ़ गई थी कि उनका रिश्ता टूटने के कगार पर आ गया था।
“रिश्ता खत्म होने की कगार पर था”
सोनाक्षी सिन्हा ने कहा कि तीन सालों के बाद उनका रिश्ता इतनी कठिनाइयों से गुजर चुका था कि दोनों एक-दूसरे से पूरी तरह थक चुके थे। एक समय ऐसा भी था, जब वे एक-दूसरे का चेहरा तक नहीं देखना चाहते थे। दोनों के बीच तकरार और गलतफहमियां इतनी बढ़ चुकी थीं कि रिश्ते को बचाने की कोई उम्मीद नहीं दिखती थी। लेकिन फिर दोनों ने हार मानने की बजाय समाधान ढूंढने का फैसला किया।
कपल थेरेपी: रिश्ते का टर्निंग पॉइंट
सोनाक्षी ने बताया कि इस दौरान जहीर ने कपल थेरेपी का सुझाव दिया। उन्होंने सोनाक्षी से कहा कि वे इस रिश्ते को हर हाल में बचाना चाहते हैं और इसके लिए जो भी करना पड़े, तैयार हैं। यह वह समय था, जब दोनों ने एक-दूसरे से दूर जाने के बजाय एक थर्ड पार्टी (थेरेपिस्ट) से मदद लेने का सोचा। उन्होंने कपल थेरेपी को अपना टर्निंग प्वाइंट माना, जिससे उनके रिश्ते में बड़ा बदलाव आया।
सोनाक्षी के मुताबिक, थेरेपी के सिर्फ दो सत्रों के बाद ही उनका रिश्ता पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो गया। वे एक-दूसरे को बेहतर समझने लगे थे और उन्हें यह एहसास हुआ कि कभी-कभी संवाद की कमी और गलतफहमियां रिश्ते में दरार डाल देती हैं। कपल थेरेपी ने उन्हें ये सिखाया कि कभी-कभी, सामने वाला जो कह रहा होता है, उसका मतलब वही नहीं होता जो हम समझते हैं।
कपल थेरेपी क्या है?
कपल थेरेपी एक प्रकार की काउंसलिंग होती है, जो रिश्तों में आ रही समस्याओं को हल करने में मदद करती है। इसमें एक प्रशिक्षित थेरेपिस्ट दोनों पार्टनर्स से बातचीत करके उनके रिश्ते में हो रही समस्याओं की जड़ समझते हैं। थेरेपिस्ट दोनों को एक-दूसरे के साथ बेहतर तरीके से जुड़ने, समझने और संवाद स्थापित करने की कला सिखाते हैं। इसका उद्देश्य रिश्ते को मजबूत बनाना और विश्वास की दीवार को फिर से मजबूत करना होता है।
क्यों जरूरी है कपल थेरेपी?
शादीशुदा जोड़ों को अक्सर कपल थेरेपी की जरूरत तब महसूस होती है जब रिश्ते में तनाव, गलतफहमियां, कम संवाद या भावनात्मक दूरी बढ़ने लगे। कई बार काम के तनाव, जिम्मेदारियों, या पुराने अनसुलझे मुद्दों की वजह से रिश्ते में खटास आ जाती है। ऐसे में कपल थेरेपी दोनों पार्टनर्स को एक सुरक्षित वातावरण देती है, जहां वे अपनी भावनाओं को खुले तौर पर एक-दूसरे से साझा कर सकते हैं। यह थेरेपी संबंधों में समझ, विश्वास और प्यार को फिर से स्थापित करने में मदद करती है।
कपल थेरेपी कब लें?
अगर आपके रिश्ते में बातचीत कम हो गई हो, छोटी-छोटी बातों पर तकरार होती हो, या फिर एक-दूसरे से दूरी महसूस हो रही हो, तो ये संकेत हैं कि आपको कपल थेरेपी की जरूरत हो सकती है। साथ ही, अगर आपकी सेक्स लाइफ में कमी आ रही हो या अगर रिश्ते में विश्वास की कमी महसूस हो रही हो, तो ऐसे में प्रोफेशनल मदद लेना समझदारी होगी।
कभी-कभी रिश्ते में इतनी मुश्किलें आ जाती हैं कि तलाक तक की स्थिति बन जाती है, लेकिन कपल थेरेपी दोनों पार्टनर्स को एक-दूसरे को फिर से समझने, माफ करने और संबंधों को सही दिशा में आगे बढ़ाने का मौका देती है।
क्या यह तरीका हर रिश्ते के लिए काम करता है?
सोनाक्षी सिन्हा और जहीर इकबाल की कहानी से यह साबित होता है कि कपल थेरेपी रिश्तों को संजीवनी दे सकती है, बशर्ते दोनों पार्टनर्स एक-दूसरे को समझने और संबंधों में सुधार लाने के लिए तैयार हों।
