
बच्चों की परवरिश एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है, और जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, उनकी भावनाएं और रिश्ते भी बदलने लगते हैं। खासकर जब बच्चे किशोरावस्था में कदम रखते हैं, तो उनका प्यार, इश्क और मोहब्बत की दुनिया में एंट्री होती है। ऐसे में अगर आपके बच्चे को किसी पर क्रश हो जाए तो यह परिस्थिति आपको भी संभालने में मुश्किल महसूस हो सकती है। परंतु पेरेंटिंग कोच शिवानी कुदवा के अनुसार, इस सिचुएशन को समझदारी से हैंडल करना बहुत जरूरी है। आइए जानें, पेरेंट्स को किस तरह से बच्चों के पहले क्रश को संभालना चाहिए।
1. ओवररिएक्ट बिल्कुल न करें
पेरेंटिंग कोच शिवानी का कहना है कि बच्चों को क्रश होने पर पेरेंट्स को तुरंत ओवररिएक्ट करने से बचना चाहिए। बच्चों पर चीखना-चिल्लाना या डांटना स्थिति को और बिगाड़ सकता है। जब पेरेंट्स शांत और समझदारी से प्रतिक्रिया देंगे, तो बच्चा अपनी भावनाओं को सहजता से समझ पाएगा और इससे उनके रिश्ते में विश्वास भी बढ़ेगा।
2. बच्चे की भावनाओं को नॉर्मल समझें
शिवानी बताती हैं कि यह उम्र बदलाव की होती है, और इस समय बच्चे नई भावनाओं को महसूस करते हैं, जो पूरी तरह सामान्य हैं। पेरेंट्स को बच्चों की भावनाओं को समझना चाहिए और यह दिखाना चाहिए कि यह कोई बड़ी बात नहीं है। बच्चे इस समय अपने शरीर और मानसिक स्थिति में बदलाव महसूस कर रहे होते हैं, जिससे उनकी भावनाओं का यह अनुभव स्वाभाविक है।
3. दोस्ती की अहमियत समझाएं
एक्सपर्ट का कहना है कि इस दौरान पेरेंट्स को बच्चों को यह समझाने की जरूरत है कि दोस्ती सबसे अहम है। यह उम्र दोस्ती को समझने और उसे गहरी बनाने का है। सच्ची दोस्ती किसी भी मजबूत और स्वस्थ रिश्ते की नींव होती है। इसलिए बच्चों को दोस्ती की सही परिभाषा और इसके महत्व को समझाना बेहद जरूरी है।
4. बच्चों को एक्सप्लोर करने का मौका दें
शिवानी कुदवा का सुझाव है कि पेरेंट्स बच्चों को घूमने-फिरने और नए दोस्त बनाने का मौका दें। उन्हें कहें कि वह अपने दोस्तों के साथ समय बिताएं, एंजॉय करें और एक-दूसरे को समझने की कोशिश करें। इससे बच्चा किसी को पूरी तरह समझ नहीं पाने पर बिना किसी दिल टूटने के डर के रिश्ते को छोड़ सकता है। यह बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाता है और उन्हें स्वस्थ सामाजिक रिश्ते बनाने में मदद करता है।
5. सोशल और इमोशनल रूप से मजबूत बनाएं
जब पेरेंट्स बच्चों को दोस्ती और रिश्ते की समझ देते हैं, तो वे इमोशनली और सोशल रूप से मजबूत बनते हैं। ऐसे बच्चे अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं और उन्हें सशक्त रूप से व्यक्त कर सकते हैं। इससे बच्चों में आत्मविश्वास और समझदारी बढ़ती है, जो उन्हें भविष्य में किसी भी रिश्ते को समझने में मदद करता है।
निष्कर्ष:
बच्चों का पहला क्रश कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन यह पेरेंट्स के लिए एक अहम मौका है अपने बच्चों से खुलकर बात करने का। बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शन देने और उनके पहले क्रश को समझदारी से संभालने से उनके मानसिक और भावनात्मक विकास में मदद मिलती है।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी इंस्टाग्राम वीडियो और पेरेंटिंग कोच शिवानी कुदवा के सुझावों पर आधारित है। एनबीटी इसकी सटीकता की जिम्मेदारी नहीं लेता है। किसी भी जानकारी के लिए कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।
