
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की 23वीं वार्षिक शिखर बैठक में भारत–रूस रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत बनाने पर जोर दिया गया। इस दौरान नागरिक परमाणु ऊर्जा, एडवांस न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी और रॉकेट इंजन विकास में भारत को रूस से बड़ा तोहफा मिला।
शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा में सहयोग बढ़ेगा
बैठक में दोनों नेताओं ने कुडनकुलम परमाणु बिजली परियोजना (केकेएनपीपी) के लिए लाइफ सायकल सपोर्ट, परमाणु ईंधन चक्र और उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे भारत की 2047 तक 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा क्षमता योजना के लिए अहम कदम बताया।
कुडनकुलम परियोजना में प्रगति
- तीसरी और चौथी वीवीईआर-1000 रिएक्टर इकाइयां 18 महीने के ईंधन चक्र पर संचालित होंगी।
- रूसी इंजीनियरों ने भारतीय विशेषज्ञों के साथ मिलकर तकनीकी समाधान विकसित किए।
- रोसाटॉम ने तीसरी इकाई के लिए ईंधन असेंबली की पहली खेप भारत भेज दी।
- उपकरण और ईंधन की आपूर्ति समयसीमा के अनुसार सुनिश्चित की जाएगी।
अंतरिक्ष क्षेत्र में भी सहयोग
बैठक में इसरो और रोस्कॉस्मोस के बीच मानव अंतरिक्ष अभियान, उपग्रह नेविगेशन, ग्रहों की खोज और रॉकेट इंजन विकास में प्रगति का स्वागत किया गया। दोनों देशों ने कहा कि अंतरिक्ष सहयोग दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा।
निष्कर्ष
भारत–रूस सहयोग अब न केवल परमाणु ऊर्जा, बल्कि अंतरिक्ष और उन्नत तकनीक के क्षेत्र में भी नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है। इस शिखर बैठक ने दोनों देशों की साझेदारी को वैश्विक रणनीतिक दृष्टि से और मजबूती दी है।