
चंडीगढ़: पंजाब में 14 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बीजेपी और अकाली दल के बीच गठबंधन को जरूरी बताया है। उनके इस बयान ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। हालांकि बीजेपी ने किनारा कर लिया है, लेकिन यह राज्य की रणनीति के हिसाब से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वहीं, अकाली दल ने नरम रुख दिखाकर गठबंधन की संभावनाओं को बढ़ा दिया है।
कैप्टन का बीजेपी के लिए फॉर्मूला
कैप्टन अमरिंदर सिंह, जिन्होंने 2022 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था, ने एक पॉडकास्ट में कहा कि यदि बीजेपी पंजाब में जनाधार बढ़ाना चाहती है, तो उसे अकेले सभी 117 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ना होगा। उन्होंने गठबंधन को रणनीतिक भूल बताया और कहा कि अकाली दल के साथ लंबे समय तक गठबंधन के कारण बीजेपी केवल कुछ ही सीटें जीत पाई।
अश्विनी शर्मा ने बयान को बताया व्यक्तिगत राय
बीजेपी पंजाब के कार्यकारी अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने कहा कि कैप्टन साहब बड़े नेता हैं और उन्होंने अपनी राय रखी है। बीजेपी राज्य की सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है।
अकाली दल ने नरम रुख अपनाया
शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर की बात सही है। अगर बीजेपी और अकाली दल मिलकर चुनाव लड़ें तो 2027 में सरकार बनाने की संभावना है। अकाली दल ने गठबंधन के लिए कुछ शर्तें रखीं, जैसे एसजीपीसी में दखल न देना, भाखड़ा ब्यास बोर्ड से हरियाणा और राजस्थान को बाहर रखना, सिख बंदियों की रिहाई और पानी विवाद सुलझाना।
बीजेपी- अकाली दल का राजनीतिक परिदृश्य
बीजेपी और अकाली दल का लंबे समय तक साथ रहना अब राजनीतिक जरूरत बन गया है। अकाली दल पिछले 10 साल में कमजोर हुआ है और विधानसभा में सिर्फ 15 सीटों पर सीमित है। लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने 18.56% वोट हासिल कर जनाधार बढ़ाया, जबकि अकाली दल को केवल 13.42% वोट मिले। गठबंधन टूटने का फायदा कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को मिला।
अकेले चुनाव लड़ने का खतरा
अगर बीजेपी अकेले चुनाव में जाती है तो अकाली दल कमजोर स्थिति में रह जाएगा और 2027 में सत्ता में आने के लिए उसकी संभावना घट जाएगी। कैप्टन अमरिंदर सिंह का मानना है कि गठबंधन ही पंजाब में बीजेपी के लिए जीत की कुंजी हो सकता है।