
जयपुर, 28 नवंबर। किस्मत को कोसने वालों के लिए राजस्थान की रोहिणी गुर्जर की कहानी एक ऐसी मिसाल है, जो बताती है कि हिम्मत और जिद हो तो इंसान हर विपरीत परिस्थिति को मात दे सकता है। पति, दादी और फिर 10 वर्षीय बेटी के निधन का दर्द… और उसके बाद महज दो दिन पहले हुए एक्सीडेंट में एक आंख फूट जाना—इन सबके बावजूद रोहिणी ने न सिर्फ RAS मेन्स परीक्षा दी, बल्कि RAS 2023 में चयनित होने का सपना भी पूरा किया।
लगातार त्रासदियों के बीच भी लक्ष्य से नहीं डगमगाईं
अजमेर जिले के नारेली गांव की रहने वाली रोहिणी गुर्जर ने 2006 में स्नातक के बाद RAS बनने का सपना देखा था। शादी के बाद वे पति के साथ तैयारी कर रही थीं, लेकिन तभी जीवन ने पहला बड़ा झटका दिया
परीक्षा की तैयारी के दौरान पति का निधन।
परिवार से हिम्मत पाकर वे फिर संभलीं। तैयारी शुरू ही की थी कि RAS प्री परीक्षा के दौरान दादी का निधन हो गया। दादी वही थीं, जो उन्हें पढ़ने और आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रोत्साहित करती थीं।
बेटी का साथ छूटा, फिर भी नहीं टूटा हौसला
दादी के बाद दुख का अगला पहाड़ तब टूटा, जब मेन्स परीक्षा से 8 दिन पहले ही उनकी 10 वर्षीय बेटी की मौत हो गई। यह दर्द किसी भी इंसान को तोड़ देने वाला था। लेकिन रोहिणी ने खुद को संभाला और कहा
“दादी और बेटी, दोनों चाहती थीं कि मैं अफसर बनूं। मैं पीछे नहीं हट सकती।”
मेन्स से दो दिन पहले हादसा, आंख पर पट्टी… फिर भी दी परीक्षा
सबसे बड़ा हादसा मेन्स परीक्षा से 48 घंटे पहले हुआ। जयपुर आने पर एक सड़क दुर्घटना में उनकी एक आंख बुरी तरह जख्मी हो गई।
डॉक्टरों ने आंख पर पट्टी बांध दी।
लेकिन रोहिणी ने परीक्षा छोड़ने से इनकार कर दिया।
एक आंख से पेपर लिखते हुए उन्होंने पूरा RAS मेन्स परीक्षा दिया।
उनकी यह जिद और परीक्षा के प्रति समर्पण ही उनके चयन की वजह बनी।
मेहनत रंग लाई, बनीं RAS अफसर
रोहिणी ने मेन्स में शानदार प्रदर्शन किया और इंटरव्यू में भी अच्छे अंक हासिल किए।
परिणाम आया तो वे RAS भर्ती 2023 में चयनित हो चुकी थीं।
वर्तमान में वे कॉपरेटिव सर्विस में सेवा दे रही हैं।
उन्होंने RAS 2024 का इंटरव्यू भी दिया है और उम्मीद है कि इस बार बेहतर रैंक हासिल करेंगी।
“अगर मैं संभल सकती हूं, तो कोई भी संभल सकता है”
सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में रोहिणी कहती हैं
“इतनी विपरीत परिस्थितियों का सामना शायद ही कोई करे। लेकिन अगर मैं टूटने के बाद बार-बार खड़ी हो सकती हूं, तो हर इंसान खड़ा हो सकता है। जिंदगी कैसी भी हो… हार कभी मत मानिए।”
रोहिणी की कहानी—संघर्ष, साहस और सफलता का अद्भुत उदाहरण
पति, दादी और बेटी को खोना…
एक आंख से परीक्षा देना…
और लगातार संघर्षों के बीच खुद को संभालकर अफसर बनना
रोहिणी गुर्जर की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो कठिनाइयों से घबराकर अपने सपने छोड़ देते हैं।