
बिहार में मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की चौथी किश्त जारी होते ही राजनीतिक हलकों में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह साफ कर दिया है कि यह योजना सिर्फ चुनावी रणनीति नहीं, बल्कि आधी आबादी को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का दीर्घकालिक संकल्प है।
चुनाव परिणामों के बाद जारी चौथी किश्त ने उन विपक्षी आरोपों को भी करारा जवाब दिया है, जिसमें कहा जा रहा था कि सरकार चुनाव बाद यह पैसा वापस ले लेगी या योजना बंद कर देगी। लेकिन 10,000 रुपये प्रति लाभार्थी की इस सहायता को लगातार जारी रखकर सरकार ने साबित कर दिया है कि बिहार के विकास का नया मॉडल ‘महिला शक्ति’ पर आधारित होगा।
2.76 करोड़ परिवारों तक योजना की पैठ का लक्ष्य
बिहार में कुल 2.76 करोड़ परिवार हैं और मुख्यमंत्री की योजना है कि लगभग हर परिवार में कम से कम एक महिला को रोजगार से जोड़ा जाए। यह लक्ष्य एक झटके में पूरा नहीं हो सकता, इसलिए सरकार इसे चरणबद्ध तरीके से लागू कर रही है।
यह योजना नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट मानी जा रही है, जिसका लक्ष्य महिलाओं को सिर्फ आर्थिक सहायता देना नहीं, बल्कि उन्हें रोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाना है।
कब–कब जारी हुई किस्तें?
सरकार ने ‘स्लोली-स्लोली विन द रेस’ की नीति पर चलते हुए किश्तें जारी कीं—
- 20 सितंबर 2025: 75 लाख महिलाओं को पहली किस्त
- 3 अक्टूबर 2025: 25 लाख महिलाओं को दूसरी किस्त
- 6 अक्टूबर 2025: 46 लाख महिलाओं को तीसरी किस्त
- 28 नवंबर 2025: 10 लाख महिलाओं को चौथी किस्त
लगातार किश्तों का जारी रहना इस योजना की विश्वसनीयता को मजबूत करता है।
चौथी किश्त जारी कर सरकार ने क्या संदेश दिया?
चुनाव बाद चौथी किश्त जारी करके नीतीश सरकार ने एक साथ कई राजनीतिक और सामाजिक संदेश दिए—
- यह वादा नहीं, सरकार की गारंटी है:
सरकार ने साबित किया कि वह चुनावी फायदे के बाद पीछे नहीं हटती। - विपक्ष के आरोप बेमानी:
यह स्पष्ट कर दिया गया कि 10,000 रुपये लौटाने की कोई बात नहीं। यह पूरी तरह अनुदान है। - आगे और बड़ी मदद भी तैयार:
जो महिलाएँ रोजगार बढ़ाना चाहेंगी, उन्हें सरकार 2 लाख रुपये तक की अतिरिक्त सहायता देने को तैयार है। - महिलाओं का भरोसा अटूट:
लगातार किश्तें जारी होने से महिलाओं में सरकार के प्रति विश्वास और मजबूत हुआ है।
निष्कर्ष: बदलाव का नया मॉडल
‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ अब सिर्फ आर्थिक सहायता का माध्यम नहीं रह गई है, बल्कि बिहार में महिला सशक्तिकरण का सबसे बड़ा अभियान बनती जा रही है।
यह योजना आने वाले दिनों में 2.76 करोड़ परिवारों की आर्थिक तस्वीर बदल सकती है और बिहार में सामाजिक प्रगति की नई शुरुआत का आधार बन सकती है।