Sunday, November 9

Bihar Election 2025 : कैश ट्रांसफर और कल्याण योजनाओं से NDA को सत्ता वापसी की उम्मीद — वोट शेयर में 4-5% तक बढ़ोतरी का अनुमान

पटना।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एनडीए सरकार ने एक बार फिर महिलाओं और बुजुर्गों को साधने के लिए कल्याणकारी योजनाओं की झड़ी लगा दी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महिला रोजगार सम्मान योजना के तहत करोड़ों महिलाओं के खातों में कैश ट्रांसफर शुरू हो चुका है। इस कदम से एनडीए को न केवल सत्ता में वापसी की उम्मीद है, बल्कि वोट शेयर में 4-5% की बढ़ोतरी का अनुमान भी लगाया जा रहा है।

2020 में 35.5% वोट मिले थे NDA को, अब बढ़ने की उम्मीद

2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को कुल 35.5% वोट शेयर मिला था। इस बार गठबंधन का लक्ष्य 40% के पार पहुंचने का है। जानकारों का मानना है कि महिला मतदाताओं के बीच शुरू की गई सीधी नकद सहायता योजनाएं इस लक्ष्य को हासिल करने में निर्णायक साबित हो सकती हैं।

मुख्यमंत्री महिला रोजगार सम्मान योजना बनी गेमचेंजर

राज्य सरकार की सबसे बड़ी योजना — मुख्यमंत्री महिला रोजगार सम्मान योजना — अब एनडीए की सबसे ताकतवर चुनावी रणनीति बन चुकी है।
इस योजना के तहत 18 से 60 वर्ष की आयु की लगभग 1.3 करोड़ महिलाओं को ₹10,000 की एकमुश्त सहायता दी जा रही है। कुल अनुमानित लागत लगभग ₹13,000 करोड़ बताई जा रही है।

बिहार की 3.5 करोड़ महिला मतदाताओं में से करीब आधी इस योजना से लाभान्वित होंगी।
अगर इनमें से 75-80% महिलाएं एनडीए के पक्ष में मतदान करती हैं, तो गठबंधन का वोट शेयर स्वतः 4-5% तक बढ़ सकता है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “इस योजना को वित्तीय रूप से संभव बनाने के लिए असम मॉडल अपनाया गया, जहां महिलाओं को एकमुश्त नकद हस्तांतरण किया गया था।”

सामाजिक सुरक्षा पेंशन में 2.5 गुना बढ़ोतरी

महिलाओं के बाद अब एनडीए सरकार ने बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों को भी अपने पक्ष में करने की योजना बनाई है।
सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत लगभग 1.2 करोड़ पेंशनरों की मासिक पेंशन ₹400 से बढ़ाकर ₹1,100 कर दी गई है।
इससे सरकार को सालाना करीब ₹8,000 करोड़ का अतिरिक्त भार झेलना पड़ेगा, लेकिन राजनीतिक रूप से यह एनडीए के लिए बड़ा लाभ साबित हो सकता है।

मुफ्त बिजली का तोहफा

1 अगस्त 2025 को बिहार सरकार ने हर घरेलू उपभोक्ता को 125 यूनिट मुफ्त बिजली देने की घोषणा की थी।
इससे राज्य सरकार पर करीब ₹5,000 करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ा है, लेकिन ग्रामीण और निम्नवर्गीय मतदाताओं में इसका सीधा असर दिख रहा है।

बेरोजगार युवाओं को भी मिली राहत

युवाओं के लिए भी कई छोटी-छोटी योजनाएं शुरू की गई हैं, जिन पर लगभग ₹3,000-4,000 करोड़ खर्च होंगे। इनमें बेरोजगार स्नातकों के लिए प्रोत्साहन योजनाएं और स्वरोजगार सब्सिडी शामिल हैं।

एनडीए का चुनावी पैकेज ₹15,000 करोड़ का

विशेषज्ञों का कहना है कि चुनाव पूर्व ₹15,000 करोड़ के पैकेज के जरिए एनडीए ने एक साथ तीन बड़े समूहों — महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं — को साधने की रणनीति बनाई है।
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. अरुण मिश्रा के अनुसार,

“बिहार की राजनीति में महिला वोटर अब ‘साइलेंट गेम चेंजर’ बन चुकी हैं। यदि कैश ट्रांसफर का असर वैसा ही रहा जैसा 2020 में शराबबंदी नीति का था, तो एनडीए की सत्ता वापसी तय मानी जा सकती है।”

📊 निष्कर्ष:
एनडीए सरकार की तीन प्रमुख योजनाएं — महिला रोजगार सम्मान योजना, पेंशन वृद्धि योजना और मुफ्त बिजली योजना — इस बार के चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं।
सवाल यही है कि क्या ये नकद योजनाएं एनडीए को फिर से सत्ता के सिंहासन तक पहुंचा पाएंगी, या विपक्ष इस जनसंपर्क लहर को पलट देगा?
आने वाले कुछ सप्ताहों में इसका जवाब बिहार की जनता देगी।

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