Monday, December 1

भारत को मिला वैश्विक MRO हब का दर्जा! हैदराबाद में Safran की दुनिया की सबसे बड़ी इंजन मेंटेनेंस यूनिट का पीएम मोदी ने किया उद्घाटन

हैदराबाद। भारत के एविएशन सेक्टर के लिए बुधवार का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांसीसी एयरोस्पेस दिग्गज कंपनी Safran द्वारा स्थापित दुनिया की सबसे बड़ी एयरक्राफ्ट इंजन मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल (MRO) यूनिट का वर्चुअली उद्घाटन किया। यह पहली बार है जब किसी वैश्विक एयरक्राफ्ट इंजन निर्माता ने भारत में MRO सुविधा स्थापित की है, जिससे देश को वैश्विक विमानन उद्योग में बड़ी पहचान मिलने की उम्मीद है।

जीएमआर एयरोस्पेस एंड इंडस्ट्रियल पार्क-एसईजेड में 45,000 वर्ग मीटर में फैली यह अत्याधुनिक सुविधा लगभग 1,300 करोड़ रुपये के निवेश से तैयार की गई है। 2035 तक पूर्ण क्षमता पर पहुंचने के बाद यह प्रतिवर्ष 300 LEAP इंजन की सर्विसिंग करने में सक्षम होगी और 1,000 से अधिक उच्च कौशल वाले भारतीय इंजीनियरों एवं तकनीशियनों को रोजगार देगी।

यह केंद्र मुख्य रूप से एयरबस A320neo और बोइंग 737 MAX जैसे लोकप्रिय विमानों में उपयोग होने वाले CFM LEAP इंजनों की सर्विसिंग करेगा। इसके साथ ही यहां अगली पीढ़ी के इंजन परीक्षण की सुविधा भी उपलब्ध होगी।

उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह परियोजना भारत को एयरक्राफ्ट MRO क्षेत्र में वैश्विक हब बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा— “भारत अब बड़े सपने देख रहा है, बड़े काम कर रहा है और सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहा है।” पीएम ने Safran को भारत में इंजन और एयरोस्पेस कम्पोनेंट डिजाइन एवं निर्माण सुविधाओं की स्थापना पर विचार करने का आग्रह भी किया।

इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने राफेल लड़ाकू विमानों में उपयोग होने वाले M88 सैन्य इंजनों के लिए भारत में Safran की पहली MRO कार्यशाला का भी शिलान्यास किया। 5,000 वर्ग मीटर में बनने वाली इस सुविधा में लगभग 400 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश होगा और यह सालाना 600 से अधिक इंजन मॉड्यूल की सर्विसिंग करेगी।

अधिकारियों का मानना है कि Safran की इस पहल से भारत में एविएशन सर्विसिंग की लागत कम होगी, विदेशी निर्भरता घटेगी और देश में एयरोस्पेस कौशल विकास को नया आयाम मिलेगा। उद्योग जगत इसे मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान की बड़ी सफलता के रूप में देख रहा है।

इस परियोजना के चलते भारत का नाम वैश्विक विमानन मानचित्र पर और अधिक मजबूत होने की उम्मीद है।

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