
अयोध्या: विवाह पंचमी के अवसर पर मंगलवार को अयोध्या के रामलला मंदिर के शिखर पर दिव्य धर्मध्वज का विधिवत आरोहण किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मंदिर के 161 फीट ऊंचे शिखर पर लगभग 2 किलो वजनी केसरिया ध्वज लहराया। इस पावन अवसर पर संत समाज और उपस्थित भक्तजन भाव-भक्ति में डूब गए।
ध्वजारोहण की इस अनूठी परंपरा को मंदिर की पूर्णता और भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे सदियों के घावों को भरने और देश के आध्यात्मिक उत्थान का संदेश बताया।
आम भक्तों के लिए दर्शन की जानकारी:
रामलला के दर्शन के लिए आम श्रद्धालु अब बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। ट्रस्ट ने जानकारी दी है कि मंदिर आम भक्तों के लिए 26 नवंबर से खुल जाएगा। पहले दिन केवल 7,500 विशिष्ट अतिथियों को दर्शन की अनुमति दी गई थी, लेकिन अब आम श्रद्धालुओं को प्राथमिकता मिलेगी।
इस दिन मंदिर में कोई वीआईपी पास जारी नहीं किया जाएगा और दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए मंदिर को सामान्य समय से अधिक, लगभग 15-16 घंटे तक खोला जाएगा। ट्रस्ट ने बताया कि इस व्यवस्था से लंबी कतारों में भी भक्तों को आसानी से दर्शन करने का अवसर मिलेगा।
ध्वज का आध्यात्मिक महत्व:
मंदिर के शिखर पर लगाया गया ध्वज केवल सजावट नहीं है, बल्कि यह शुभ-शक्तियों के आह्वान और नकारात्मक ऊर्जा के निवारण का प्रतीक है। जब यह ध्वज दिखता है, तो यह संकेत देता है कि मंदिर में देवी-देवताओं की चेतना सक्रिय है और भक्त सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं।
रामलला के दर्शन का यह पावन अवसर भक्तों के लिए आध्यात्मिक अनुभव और आस्था का अद्भुत संयोग साबित होगा।