
इस्लामाबाद/नई दिल्ली: भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के उस बयान ने पाकिस्तान में राजनीतिक तूफान ला दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि “सभ्यता के स्तर पर सिंध भारत का हिस्सा हमेशा रहेगा… और सीमाएं बदल सकती हैं, कौन जानता है कि भविष्य में सिंध फिर भारत में लौट आए।”
सिंध के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह ने इस बयान की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि राजनाथ सिंह “दिन में सपने देखना बंद करें।” उन्होंने स्पष्ट किया कि “सिंध पाकिस्तान का अभिन्न हिस्सा है और रहेगा।” अपने बयान में शाह ने यह भी कहा कि सिंध ने 1936 में बॉम्बे प्रेसिडेंसी से अलग होकर अपनी पहचान स्थापित की थी, उस समय जब पाकिस्तान का गठन तक नहीं हुआ था।
सिंध प्रांत के सीएम ने कहा, “सिंध की जनता हमेशा अपनी सांस्कृतिक विरासत, राजनीतिक पहचान और स्वायत्तता के लिए एकजुट रही है। किसी भी बाहरी शक्ति का हस्तक्षेप अस्वीकार्य है।”
राजनाथ सिंह के बयान के बाद पाकिस्तान में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। देश के विभिन्न हिस्सों में अलगाववादी आंदोलन चलते रहे हैं, जिसमें बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और सिंध प्रमुख हैं। कई एक्सपर्ट इसे सोची-समझी राजनीतिक चाल बता रहे हैं।
भारत के एक वरिष्ठ मिलिट्री एक्सपर्ट ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “राजनाथ सिंह को पता होगा कि उनका यह बयान पाकिस्तान में कैसे वायरल होगा। इसके पीछे शायद रणनीतिक उद्देश्य हो सकता है।”
राजनाथ सिंह ने अपने बयान में यह भी कहा कि “सिंधी हिंदू आज भी सिंध के पाकिस्तान में शामिल होने को स्वीकार नहीं कर पाए हैं।” इस बयान ने पाकिस्तान में राजनीतिक और सामाजिक असंतोष को और भड़का दिया है।