
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में नगर निगम (MCD) के हेल्थ विभाग से जुड़ा एक बड़ा घोटाला सामने आया है। कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त अडिशनल पब्लिक हेल्थ इंस्पेक्टर्स (APHI) पर करीब 17 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगा है। मामला तब उजागर हुआ जब स्टैंडिंग कमिटी की बैठक में सदस्य राजपाल सिंह ने पूरे प्रकरण को उठाया। इसके बाद अधिकारियों में हड़कंप मच गया।
स्टैंडिंग कमिटी में खुला घोटाले का पर्दाफाश
राजपाल सिंह ने बताया कि MCD में 38 APHI कॉन्ट्रैक्ट पर लगाए गए थे। इन कर्मचारियों ने वर्ष 2015 में लेबर कोर्ट में मामला दर्ज कर कई मांगें उठाई थीं—पोस्ट के अनुरूप वेतन, स्थायी करने की मांग आदि।
लेबर कोर्ट ने 2025 में उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए MCD कमिश्नर के खाते को अटैच कर 17 करोड़ रुपये की रिकवरी का आदेश दे दिया।
अकाउंट अटैच होते ही 17 करोड़ रुपये की राशि कोर्ट के आदेशानुसार 39 APHI कर्मचारियों में बांट दी गई।
छोड़ चुके कर्मचारियों को भी मिला पैसा, कई को दो बार भुगतान
सूत्रों के अनुसार, घोटाला यहीं तक सीमित नहीं रहा।
- कई ऐसे कर्मचारी, जो 2018 में ही MCD छोड़ चुके थे, उन्हें भी घर से बुलाकर भुगतान कर दिया गया।
- कुछ कर्मचारियों को दो बार रकम जारी कर दी गई।
- पूरा मामला MCD अधिकारियों द्वारा छिपाया गया, यहां तक कि कमिश्नर को भी समय रहते जानकारी नहीं दी गई।
राजपाल सिंह ने सवाल उठाया—
“इतनी बड़ी रिकवरी हो गई और MCD अधिकारी चुप रहे? आखिर वे कर क्या रहे थे?”
कमिश्नर की सख्त कार्रवाई: दोषियों को बर्खास्त करने का आदेश
स्टैंडिंग कमिटी चेयरमैन ने तत्काल इस मामले की विजिलेंस जांच के निर्देश दिए। साथ ही अडिशनल कमिश्नर से हेल्थ विभाग का चार्ज वापस लेकर किसी अन्य अधिकारी को सौंपने को कहा, ताकि जांच निष्पक्ष हो सके।
बैठक खत्म होते ही MCD कमिश्नर ने दोषी कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का आदेश जारी कर दिया। इससे यह स्पष्ट हो गया कि निगम इस घोटाले को लेकर बेहद गंभीर है।
अब क्या?
17 करोड़ की अनियमित रिकवरी, दोहरी भुगतान की कहानी, और सालों से छिपाया गया यह पूरा मामला न केवल MCD की आंतरिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि हेल्थ विभाग में फैले सांठगांठ के नेटवर्क की ओर भी इशारा करता है।
विजिलेंस जांच के बाद कई और बड़े नामों के सामने आने की संभावना जताई जा रही है।