
पूर्वांचल के लौह पुरुष सरजू पांडेय की अदम्य कहानी
स्वतंत्रता संग्राम के सिपाही, किसान आंदोलन के प्रखर नेता और ईमानदारी की मिसाल—सरजू पांडेय। आज उनकी 106वीं जयंती पर पूरा गाजीपुर उन्हें नमन कर रहा है। वह एक ऐसे नेता थे जिन्होंने 30 वर्षों के सार्वजनिक जीवन में न खुद के लिए संपत्ति जोड़ी, न ही सत्ता का कोई आकर्षण स्वीकार किया।
स्वतंत्रता संग्राम में 42 साल की सजा, 9 साल जेल में बिताए
जिला मजिस्ट्रेट के 4 अगस्त 1973 के प्रमाणपत्र के अनुसार,
- सरजू पांडेय ने साढ़े तीन साल कैद और 15 बेतों की सजा झेली
- गाजीपुर, बस्ती, वाराणसी और लखनऊ की काल कोठरियों में रहे
- आज़ादी के बाद भी विभिन्न राजनीतिक मुकदमों में 6 साल और जेल में बिताए
कुल मिलाकर उन्होंने 9 साल का कठिन कारावास झेला, लेकिन उनके इरादों और संघर्ष की लौ कभी कमजोर नहीं पड़ी।
मंत्री पद और पेट्रोल पंप तक ठुकरा दिया
केंद्रीय मंत्री द्वारा पेट्रोल पंप का लाइसेंस देने का प्रस्ताव मिला तो उन्होंने साफ कहा—
“लोग कहेंगे, कथनी और करनी में फर्क है। मैं यह कलंक नहीं लगने दूंगा।”
यही नहीं, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने जब मंत्री पद का ऑफर दिया, उन्होंने विनम्रता से अस्वीकार करते हुए कहा कि उनका संघर्ष सत्ता पाने के लिए नहीं, बल्कि समाज में गैरबराबरी मिटाने के लिए है।
किसान आंदोलन को दी नई धार
1937 में पाली गांव में स्वामी सहजानंद सरस्वती से मुलाकात ने उनके जीवन को नई दिशा दी।
वे किसान और मजदूर आंदोलनों की अग्रिम पंक्ति में आ गए। प्रगतिशील लेखक संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वर्गीय डॉ. पी.एन. सिंह के लेख के मुताबिक, सरजू पांडेय ने पूर्वांचल में किसान संघर्ष को मजबूत और संगठित रूप दिया।
एक साथ जीती लोकसभा और विधानसभा सीट
1957 में उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर
- रसड़ा लोकसभा सीट और
- मुहम्मदाबाद विधानसभा सीट
एक साथ जीतकर इतिहास रचा।
नेहरू के करीबी और कांग्रेस के दिग्गज नेता शौकतउल्लाह अंसारी को उन्होंने पराजित किया।
संसद में जब नेहरू ने पूछा—
“ये सरजू पांडेय कौन हैं जो दो-दो सीटें जीत लाए?”
तो पीछे की बेंच से सरजू पांडेय ने मुस्कुराकर हाथ उठाते हुए कहा—
“मैं हूं।”
चार बार लोकसभा, दस साल एमएलसी
अपने सरल व्यक्तित्व और संघर्षशील छवि के चलते वे चार बार लोकसभा पहुंचे और दस वर्षों तक एमएलसी रहे।
फिर भी पद, सत्ता और प्रतिष्ठा का मोह उन्हें छू भी नहीं पाया।
आज भी गाजीपुर में जीवंत है उनकी विरासत
हर वर्ष की तरह इस बार भी गाजीपुर कचहरी परिसर स्थित सरजू पांडेय पार्क में उनकी जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है।
सरजू पांडेय स्मृति न्याय समिति के सचिव ऋषि पांडेय के अनुसार, कार्यक्रम में शिक्षा जगत के विद्वान, समाजसेवी और जनप्रतिनिधि बड़ी संख्या में शामिल होंगे।
सरजू पांडेय—संघर्ष, सादगी और सिद्धांतों की जीवंत मिसाल
उनका जीवन बताता है कि राजनीति सिर्फ सत्ता का खेल नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के प्रति समर्पण का मार्ग भी हो सकता है।
आज, उनकी 106वीं जयंती पर पूरा पूर्वांचल उनके त्याग, तप और सत्यनिष्ठा को श्रद्धांजलि दे रहा है।