
बिहार में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही मुहिम को रविवार को एक बड़ी सफलता मिली, जब प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) संगठन से जुड़े तीन कुख्यात इनामी नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर में आयोजित एक औपचारिक समारोह में नारायण कोडा, बहादुर कोडा और विनोद कोडा ने बिहार पुलिस के समक्ष हथियार डाल दिए। इस दौरान राज्य के पुलिस महानिदेशक विनय कुमार भी मौजूद रहे।
इनमें से नारायण और बहादुर पर सरकार ने तीन-तीन लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था। तीनों लंबे समय से पुलिस और सुरक्षाबलों के लिए चुनौती बने हुए थे।
कौन हैं नारायण, बहादुर और विनोद कोडा?
पुलिस के अनुसार आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का आपराधिक इतिहास काफी लंबा है—
नारायण कोडा: यह पीएलजीए (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) का जोनल कमांडर था। इसके खिलाफ मुंगेर, लखीसराय और जमुई जिलों में लगभग दो दर्जन संगीन मामले दर्ज हैं।
बहादुर कोडा: यह पीएलजीए में सब-जोनल कमांडर के पद पर सक्रिय था। इसके खिलाफ भी विभिन्न जिलों में करीब 20 गंभीर मामले दर्ज हैं।
विनोद कोडा: यह सशस्त्र दस्ते का सदस्य रहा है। इसके विरुद्ध लखीसराय जिले में तीन आपराधिक मामले दर्ज हैं।
भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद
आत्मसमर्पण के दौरान नक्सलियों ने पुलिस को बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी सौंपे। इनमें
दो INSAS राइफल, चार SLR राइफल, 5.56 एमएम के 150 जिंदा कारतूस, 7.62 एमएम के 353 कारतूस, बम, डेटोनेटर और अन्य सामग्री शामिल है। इसे सुरक्षाबलों के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
हर नक्सली को 2.5 लाख की प्रोत्साहन राशि
बिहार सरकार की आत्मसमर्पण-सह-पुनर्वास नीति के तहत तीनों नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए आर्थिक सहायता दी गई है।
प्रत्येक नक्सली को 2.5 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि दी गई।
इनामी नक्सलियों के परिवारों को 3 लाख रुपये की इनामी राशि मिलेगी।
36 महीने तक 10 हजार रुपये प्रतिमाह (कुल 3.6 लाख रुपये) रोजगारपरक प्रशिक्षण के लिए दिए जाएंगे।
सौंपे गए हथियारों के बदले 1.11 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि भी मिलेगी।
इसके अलावा इन्हें आवास, राशन, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना, शिक्षा और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ भी प्रदान किया जाएगा।
नक्सलवाद के खिलाफ अभियान को मजबूती
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस आत्मसमर्पण से न सिर्फ मुंगेर और आसपास के इलाकों में नक्सली गतिविधियों पर असर पड़ेगा, बल्कि अन्य नक्सलियों को भी मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरणा मिलेगी। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि हिंसा छोड़कर समाज की धारा में लौटने वालों के लिए दरवाजे खुले हैं।