
केरल के कोट्टायम जिले के ऐतिहासिक पलई शहर ने देश के स्थानीय शासन के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। महज 21 वर्ष और 335 दिन की उम्र में दीया बिनु पुलिक्कंदम ने पलई नगरपालिका की अध्यक्ष के रूप में शपथ लेकर इतिहास रच दिया। वह भारत की सबसे कम उम्र की नगर पालिका अध्यक्षों में शामिल हो गई हैं और उन्हें देश की पहली ‘Gen Z’ नगर पालिका अध्यक्ष के रूप में देखा जा रहा है।
दीया की यह उपलब्धि केवल उम्र का रिकॉर्ड नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति में युवा नेतृत्व, पीढ़ीगत बदलाव और नई सोच का मजबूत संकेत भी मानी जा रही है।
राजनीतिक विरासत से नई पीढ़ी तक
दीया पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष बिनु पुलिक्कंदम की बेटी और पार्षद बीजू पुलिक्कंदम की भतीजी हैं। पुलिक्कंदम परिवार का पलई की राजनीति में लंबा दखल रहा है। खास बात यह है कि हाल ही में हुए नगरपालिका चुनावों में परिवार के तीनों सदस्य निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विजयी हुए, जिसने स्थानीय राजनीति में सबको चौंका दिया।
2023 से शुरू हुई सियासी कहानी
दीया की जीत को कई लोग राजनीतिक प्रतिशोध और वापसी के रूप में भी देख रहे हैं। वर्ष 2023 में केरल कांग्रेस (एम) के नेता जोस के. मणि ने बिनु पुलिक्कंदम को बिना औपचारिक प्रक्रिया के अध्यक्ष पद से हटाया था। इससे समर्थकों में नाराज़गी फैल गई थी। दो साल बाद अध्यक्ष पद एक बार फिर पुलिक्कंदम परिवार में लौटा—इस बार अगली पीढ़ी के माध्यम से।
मज़ाक से जीत तक का सफर
शुरुआत में जब परिवार ने तीन निर्दलीय उम्मीदवार उतारने का फैसला किया, तो राजनीतिक हलकों में इसका मज़ाक उड़ाया गया। लेकिन चुनाव परिणामों ने आलोचकों को खामोश कर दिया।
मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक दीया, उस समय एमबीए की तैयारी कर रही थीं। पिता के आग्रह पर उन्होंने राजनीति में कदम रखा और पहली ही कोशिश में जीत दर्ज की।
ऐसे बनीं अध्यक्ष
दीया ने वार्ड 15 से चुनाव लड़ते हुए 131 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। 23 सदस्यीय नगरपालिका परिषद में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। इसके बाद एलडीएफ और यूडीएफ—दोनों ने पुलिक्कंदम गुट से बातचीत की। अंततः शर्तों के साथ यूडीएफ को समर्थन दिया गया और दीया को अध्यक्ष चुना गया।
“अब जिम्मेदारी पूरे नगर की”
शपथ लेने के बाद दीया ने कहा,
“मैंने चुनाव अपने वार्ड के विकास के लिए लड़ा था, लेकिन अब अध्यक्ष के रूप में मेरी जिम्मेदारी पूरे नगरपालिका क्षेत्र के प्रति है। विकास कार्यों में सभी सदस्यों का सहयोग चाहूंगी, चाहे उनका राजनीतिक मत कुछ भी हो।”
युवा नेतृत्व का नया प्रतीक
दीया बिनु की यह सफलता देशभर के युवाओं, खासकर युवतियों के लिए प्रेरणा बनकर उभरी है। राजनीति में जहां उम्र और अनुभव को बड़ी शर्त माना जाता रहा है, वहीं दीया की जीत ने यह साबित कर दिया है कि दृष्टि, आत्मविश्वास और जनसमर्थन हो तो उम्र बाधा नहीं बनती।