
नई दिल्ली, 24 दिसंबर 2025 – अटल बिहारी वाजपेयी, देश के प्रतिष्ठित नेता, प्रखर वक्ता, कवि और पत्रकार, जिन्होंने तीन बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया, की जयंती 25 दिसंबर को मनाई जाती है। इस अवसर पर उन्हें सुशासन दिवस के रूप में भी याद किया जाता है। उनके विचार आज भी नेतृत्व, आदर्शों और राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा देते हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी के प्रमुख विचार:
- “शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए। ऊंची-से-ऊंची शिक्षा मातृभाषा के माध्यम से दी जानी चाहिए।”
- “मुझे हर पल को पूरी तरह से क्यों नहीं जीना चाहिए, मुझे हर क्षण की सुंदरता की सराहना क्यों नहीं करनी चाहिए।”
- “भुखमरी ईश्वर का विधान नहीं, मानवीय व्यवस्था की विफलता का परिणाम है।”
- “सब कुछ दांव पर लगा है, अब रुकने का विकल्प नहीं है। हम इस मोड़ पर टूट सकते हैं लेकिन झुक नहीं सकते।”
- “मृत्यु की आयु क्या है? कुछ क्षणों से भी कम।”
- “शिक्षा के द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है।”
- “जीवन एक निरंतर प्रक्रिया है, यह एक या दो दिन की बात नहीं है।”
- “मैं दूसरों की नजरों से खुद को देख सकता हूं, मैं न तो चुप हूं और न ही गा रहा हूं।”
- “हे मेरे प्रभु, मुझे कभी इतना ऊंचा न चढ़ने देना कि किसी अजनबी को गले न लगा सकूं, मुझे हमेशा ऐसे अहंकार से बचाओ।”
- “हमारी माटी में आदर्शों की कमी नहीं है। शिक्षा से ही हम नवयुवकों में राष्ट्रप्रेम की भावना जाग्रत कर सकते हैं।”
सुशासन दिवस पर संदेश
अटल जयंती पर मनाया जाने वाला सुशासन दिवस लोगों के कल्याण और समाज में बेहतरी लाने की प्रेरणा देता है। यह पहल 2014 में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई थी।
अटल बिहारी वाजपेयी के ये विचार आज भी युवाओं और नेताओं के लिए मार्गदर्शन और प्रेरणा का स्रोत हैं।