
नई दिल्ली: सोने की कीमतों ने इस साल निवेशकों के लिए नई ऊँचाई छू ली है, लेकिन जूलरी कंपनियों के लिए यह साल बिल्कुल आसान नहीं रहा। मार्केट कैप के हिसाब से देश की शीर्ष 10 जूलरी कंपनियों में से आठ के शेयरों में गिरावट आई है। केवल टाइटन और Thangamayil Jewellery ने पॉजिटिव रिटर्न दिया है।
कौन कितना गिरे:
टाइटन: +17%
Thangamayil Jewellery: +72%
पीसी जूलर: -44%
सेंको गोल्ड: -43.5%
कल्याण जूलर्स: -35%
स्काई गोल्ड एंड डायमंड्स: -38%
पीएन गडगिल: -15%
ब्लूस्टोन जूलरी: -1%
Motisons Jewellers: -45%
गिरावट के कारण:
विशेषज्ञों का कहना है कि सोने की कीमत में भारी वृद्धि के बावजूद जूलरी कंपनियों के शेयरों में गिरावट का मुख्य कारण मुनाफे पर दबाव है। सोने की बढ़ती कीमत से कच्चे माल की लागत और वर्किंग कैपिटल की जरूरत बढ़ जाती है। ग्राहक महंगे सोने की खरीदारी टाल देते हैं या हल्के गहने खरीदते हैं, जिससे बिक्री का वॉल्यूम कम होता है।
इसके अलावा, कम लिक्विडिटी, बढ़ती ब्याज दरें और ग्राहक की “वेट एंड वॉच” रणनीति ने भी कंपनियों पर असर डाला है। पारंपरिक 22 कैरेट सोने के खरीदार अब 18 या 14 कैरेट सोने की ओर रुख कर रहे हैं।
रुपये में गिरावट का असर:
डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट ने भी जूलरी कंपनियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जैसे-जैसे रुपए की वैल्यू कमजोर हो रही है, भारतीय खरीदारों के लिए सोना और महंगा होता जा रहा है। इससे यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि कब और कितना स्टॉक रखा जाए।
विशेषज्ञों के अनुसार, साल 2023 में देश में संगठित जूलरी मार्केट लगभग ₹1,752 अरब का था और 2029 तक यह ₹5,079 अरब तक पहुंचने का अनुमान है।
निष्कर्ष:
हालांकि सोना निवेशकों के लिए आकर्षक साबित हो रहा है, जूलरी कंपनियों के लिए महंगे सोने की लागत, बदलते ग्राहक रुझान और कमजोर रुपए ने इस बाजार को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।